प्रकाश पर्व 2025 के दौरान सुशासन, सम्मान और समावेशी संस्कृति का प्रतीक बना बिहार- अंजुम आरा
27 दिसम्बर 2025
जद (यू0) प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती अंजुम आरा ने मीडिया में जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने इस वर्ष 25 से 27 दिसंबर 2025 तक आयोजित 359 वें प्रकाश पर्व के लिए अत्यंत संवेदनशीलता, समर्पण और दूरदर्शिता के साथ व्यापक तैयारियां की हैं। साल 2017 में आयोजित 350 वें प्रकाश पर्व में विश्व स्तरीय भव्य आयोजन ने न केवल बिहार को एक नई पहचान दी थी, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं ने राज्य की व्यवस्थाओं, सुरक्षा, स्वच्छता तथा मेहमाननवाजी की सराहना की थी। इस वर्ष भी उसी गुणवत्ता और गरिमा को ध्यान में रखते हुए सभी तैयारियां की गई हैं।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने पटना साहिब पहुंचकर स्वयं प्रकाश पर्व की तैयारियों का निरीक्षण किया। उन्होंने प्रकाश पुंज, निर्माणाधीन वाॅच टावर, ओ.पी. साह कम्युनिटी हाॅल, कंगन घाट पर टेंट सिटी सहित अन्य महत्वपूर्ण स्थलों का जायजा लेते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। स्वच्छता, सुरक्षा, आवास, परिवहन और सेवाओं की व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के साथ-साथ प्रकाश पुंज क्षेत्र का सौंदर्यीकरण, हरितकरण, तालाब, वाॅकिंग पाथ तथा बैठने की सुविधाओं को शीघ्र पूरा करने पर विशेष बल दिया गया। श्रद्धालुओं ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से मिलकर राज्य सरकार की तैयारियों के प्रति आभार व्यक्त किया और व्यवस्था से संतोष जताया, जो इस आयोजन की सफलता का प्रमाण है।
सिख समुदाय के प्रति मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की संवेदनशीलता और आत्मीयता जगजाहिर है। पटना साहिब को सिखों के प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करने में उनका योगदान ऐतिहासिक और अविस्मरणीय है। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है कि बिहार आने वाले सभी श्रद्धालु संतोष, श्रद्धा, सुरक्षा और सम्मान के भाव के साथ यहां से लौटें। यह भावना बिहार की समावेशी संस्कृति, सामाजिक सौहार्द और सुशासन की जीवंत मिसाल है तथा इसके सफल आयोजन के माध्यम से बिहार ने एक बार फिर सद्भाव, सम्मान और सह अस्तित्व के अपने मूल्यों को सिद्ध किया है।
0 Response to "प्रकाश पर्व 2025 के दौरान सुशासन, सम्मान और समावेशी संस्कृति का प्रतीक बना बिहार- अंजुम आरा"
एक टिप्पणी भेजें