डीएम की अध्यक्षता में जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक, नियमित तौर पर सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाने का दिया गया निदेश
सड़क सुरक्षा के बारे मे नागरिकों को समुचित जानकारी देकर तथा आम जनता के द्वारा इसका अनुपालन कर दुर्घटनाओं की विभीषिकाओं को बहुत हद तक कम किया जा सकता हैः डीएम ने कहा
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सड़क सुरक्षा मानकों का क्रियान्वयन हर हाल में सुनिश्चित करेंः डीएम
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पटना, सोमवार, दिनांक 01.09.2025ः अध्यक्ष, जिला सड़क सुरक्षा समिति-सह-जिला पदाधिकारी, पटना डॉ. त्यागराजन एस.एम. ने सड़क सुरक्षा के लिए नागरिकों के बीच नियमित तौर पर जागरूकता अभियान चलाने का निदेश दिया है। वे आज समाहरणालय में आयोजित बैठक में अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। जिलाधिकारी ने कहा कि जिला सड़क सुरक्षा समिति का मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है। उन्होंने कहा कि समाज में उन्मुखीकरण कार्यशाला तथा जागरूकता अभियान से दुर्घटनाओं को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने हर हाल में सड़क सुरक्षा के मानकों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का निदेश दिया है।
जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि हेल्मेट/सीट बेल्ट, वाहन फिटनेस, प्रदूषण, परमिट, बीमा, चालक अनुज्ञप्ति, अवयस्क द्वारा वाहन चलाने पर विशेष जाँच अभियान नियमित तौर पर चलाया जा रहा है। उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध शमन की कार्रवाई करते हुए राशि की वसूली की जाती है। उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल, 2025 से 30 जुलाई, 2025 तक 3,716 वाहनों की प्रदूषण नियंत्रण हेतु जाँच की गयी। प्रदूषण अंडरकंट्रोल (पीयूसी) फेल 2,041 वाहनों से 8 करोड़ 25 लाख 62 हजार रुपया से अधिक की शमन राशि वसूल की गयी। इसी अवधि में फ्लाई ऐश के संबंधित मामलों में 476 वाहनों की जाँच की गई जिसमें 267 वाहनों के विरूद्ध फाइन करते हुए 8 लाख 67 हजार रुपये की वसूली की गई।
जिलाधिकारी ने जिला परिवहन पदाधिकारी को नियमित अभियान चलाकर वाहनों के प्रदूषण अंडरकंट्रोल प्रमाण-पत्र की जाँच करने एवं कार्रवाई करने का निदेश दिया।
जिलाधिकारी ने ओवरस्पीडिंग (उच्च गति) एवं ओवरलोडिंग पर सख्ती से रोक लगाने का निदेश दिया। उन्होंने दुर्घटना-प्रवण क्षेत्रों का अध्ययन एवं विश्लेषण कर दुर्घटना को रोकने के लिए समुचित कार्रवाई करने को कहा। *जिलाधिकारी द्वारा एनएचएआई के अधिकारी को कम-से-कम पाँच ब्लैक स्पॉट को चिन्हित कर उसका परिमार्जन कर प्रत्येक बैठक में प्रतिवेदन देने का निदेश दिया गया*। उन्होंने हेल्मेट/सीट बेल्ट, वाहन फिटनेस, प्रदूषण, परमिट, बीमा, चालक अनुज्ञप्ति, अवयस्क द्वारा वाहन चलाने पर समय-समय पर विशेष जाँच चलाने का निदेश दिया।
जिलाधिकारी ने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों के समुचित इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है। आपात नम्बर सेवा 112 काफी उपयोगी है। दुर्घटना की स्थिति में इससे घायलों को तुरत सहायता मिलती है।
जिलाधिकारी ने निर्धारित पार्किंग स्थलों में ही वाहन पार्किंग सुनिश्चित कराने का निदेश दिया। उन्होंने निदेश दिया कि जगह-जगह संकेतक लगा रहना चाहिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि सड़क दुर्घटना से लोगों को बचाना हम सभी का दायित्व है। स्वयं को भी सुरक्षित रखें तथा लोगों को भी सुरक्षित रखें। उन्होंने कहा कि आँकड़े भयावह हैं। विश्व सड़क सांख्यिकी के आंकड़ों के अनुसार 13 लाख मृत्यु तथा 5 करोड़ इंजरी सड़क दुर्घटना के कारण प्रतिवर्ष घटित हो रहा है। हमारा देश 199 देशों में सड़क दुर्घटना के मामले में सबसे ऊपर है। पूरे विश्व में सड़क दुर्घटनाओं के कारण हुई मृत्यु का लगभग 10 प्रतिशत भारत में हो रहा है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारा पटना जिला भी इससे बुरी तरह प्रभावित है। इस वर्ष जनवरी से जुलाई तक सड़क दुर्घटना के 755 मामले आए जिसमें 443 लोग जान गँवा बैठे तथा 418 लोग घायल हो गए। केवल जुलाई महीना में ही सड़क दुर्घटना के 130 मामलों में 52 लोगों की मृत्यु हो गई तथा 78 लोग घायल हो गए। जिलाधिकारी ने कहा कि हम सबको इसे रोकना है। यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। यह प्रण लें कि सड़क सुरक्षा के मानकों का अनुपालन करेंगे तथा लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि बढ़ते सड़क दुर्घटनाओं एवं उसके फलस्वरूप होनेवाली मृत्यु को लेकर प्रशासन गंभीर है। जिला प्रशासन, पुलिस, परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा, पथ निर्माण से जुड़े सभी विभागों, नगर निकायों, विद्यालय/महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं, परिवहन संघों, अधिकृत वाहन विक्रेताओं, वाहन प्रशिक्षण स्कूलों, ऑटोमोबाइल एसोसिएशन, स्वयंसेवी संस्थाओं एवं आमजन की जनसहभागिता से जागरूकता अभियान एवं संवेदीकरण कार्यशाला का नियमित रूप से आयोजन किया जा रहा है।
जिलाधिकारी ने कहा कि सीट बेल्ट, हैलमेट आदि के उपयोग के लाभों पर जागरूकता शिविर आयोजित कर आम नागरिकों को सड़क सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। उन्होेंने कहा कि यातायात सुरक्षा मानकों का प्रयोग एवं यातायात नियमों के अनुपालन से दुर्घटनाओं की संभावनाओं को काफी कम किया जा सकता है। जिलाधिकारी ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है।
बैठक में जिलाधिकारी द्वारा हिट एण्ड रन मामले में मुआवजा भुगतान की समीक्षा की गई। जीआईसी द्वारा भुगतान में हो रहे विलम्ब पर नाराजगी जाहिर की गई एवं जिला परिवहन पदाधिकारी को भुगतान प्रक्रिया त्वरित कराने हेतु इस संबंध में परिवहन विभाग से जिलाधिकारी के स्तर से पत्राचार करने का निर्देश दिया गया।
जिला परिवहन पदाधिकारी को नन-हिट एण्ड रन के मामले में मुआवजा भगतान में अत्यधिक विलम्ब पर ट्रिब्यूनल से पत्राचार कर निर्देश दिया गया।
जिलाधिकारी द्वारा अधिकारियों को सड़क सुरक्षा के बारे में लोगों को प्रेरित करने का निदेश दिया गया। सड़क दुर्घटना में मुआवजा के बारे में लोगों को आवश्यक जानकारी देने का निदेश दिया गया। बैठक में सड़क दुर्घटना में घायलों के कैशलेस ट्रीटमेंट पर बेहतर कार्य करने वाले थाना प्रभारियों को पुरस्कृत करने एवं प्रशस्ति पत्र देने का निर्णय लिया।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि *सड़क सुरक्षा के पाँच मुख्य घटक* हैंः- सुरक्षित यातायात व्यवहार, दुर्घटना-पश्चात देख-भाल, सड़क सुरक्षा प्रबंधन, सुरक्षित सड़क निर्माण तथा सुरक्षित वाहन निर्माण। हम सबको इसे सुनिश्चित करना चाहिए।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि *सड़क सुरक्षा के बारे मंे नागरिकों को जानकारी देकर तथा आम जनता के द्वारा इसका अनुपालन कर दुर्घटनाओं की विभीषिकाओं को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही, दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मदद करने वाले गुड सेमेरिटन को जिला प्रशासन द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा* है।
ज़िलाधिकारी कि *बच्चे एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति सड़क सुरक्षा अभियान में ब्रैण्ड एम्बेसडर की भूमिका निभा रहे* हैं। वे सभी अपने-अपने परिवार, समाज, सम्पर्क के सभी लोगों, विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा सार्वजनिक स्थलों पर यातायात एवं सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करते हैं तथा उन्हें नियमों एवं प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करते हैं।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि दुर्घटना के मुख्य कारणों में जानकारी का अभाव न होकर इसका अनुपालन नहीं किया जाना है। लोगों के बीच सड़क सुरक्षा के नियमों की जानकारी है, परन्तु कुछ लोग लापरवाह हैं एवं इसका अनुपालन नहीं करते हैं, फलस्वरूप दुर्घटना घटती है। हम सबको सड़क दुर्घटना के दुष्परिणामों के संबंध में सोचने की जरूरत है। अपने जीवन के साथ-साथ दूसरे के जीवन को भी लापरवाह लोग खतरे में डालते हैं। कुछ युवा मोडिफायड बाईक के द्वारा काफी हाई-स्पीड में तरह-तरह की गतिविधि करते हैं एवं अपने जीवन के साथ-साथ दूसरों के जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न करते हैं। इसके प्रति सचेत होने की आवश्यकता है। ज़िलाधिकारी ने कहा कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन द्वारा जगह-जगह सीसीटीवी का संस्थापन किया गया है। ओवरस्पीडिंग, बिना हेलमेट का दुपहिया वाहन का प्रयोग करना, चार पहिया वाहन में सीट बेल्ट का प्रयोग नहीं करना, मानक के अनुसार हेलमेट का प्रयोग नहीं करना आदि मामलों में त्वरित एक्शन लिया जाता है। शहर में इन्टीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम को पूर्ण रूप से लागू किया जा रहा है। कैमरों से शहर की निगरानी, रेड लाईट वायलेशन डिटेक्शन, ऑटोमेटिक नम्बर प्लेट रिकॉग्निशन सहित अन्य सॉफिस्टिकेटेड तकनीकों के माध्यम से नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। इंटिग्रेटेड कमांड एण्ड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) से अनुश्रवण किया जाता है।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि सड़क सुरक्षा के लिए सभी भागीदारों (स्टेकहोल्डर्स) को प्रतिबद्ध रहना होगा। बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहन, बिना सीट बेल्ट बांधे चारपहिया वाहन तथा वाहन चलाते समय मोबाईल फोन का उपयोग नहीं करने के प्रति सभी को दृढ़ संकल्पित होना पड़ेगा।
ज़िलाधिकारी ने सड़क सुरक्षा के लिए जन जागरूकता एवं व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु पर्याप्त मात्रा में बैनर, पोस्टर एवं होर्डिंग, फ्लैक्स, संकेतक लगाने का निदेश दिया है। उन्होंने पदाधिकारियों को सभी उन्मुखीकरण कार्यक्रमों में जनसहभागिता सुनिश्चित कर कार्यक्रम को सफल बनाने का निदेश दिया है।
ज़िलाधिकारी ने स्वयं सेवी संगठनों, समाज सेवियो, माननीय जनप्रतिनिधियों, पत्रकार बंधुओं, छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों, शिक्षकों के साथ-साथ आम नागरिकों से भी इन कार्यक्रमों में पूरे उत्साह से भाग लेने की अपील की है।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि आज कल रोडरेज की घटना भी काफी बढ़ गई है। लोग बेवजह उलझ जाते हैं। उन्होंने कहा कि अध्ययन यह बताता है कि तेज गति से चलने के वाबजूद गंतव्य पर पहुँचने में निर्धारित समय ही लगेगा। अतः ओवरस्पीडिंग या ओवरटेक से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि यातायात नियमों की जानकारी हेतु समय-समय पर रिफ्रेशर कोर्स कराया जाएगा।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि *सड़क पर घायल व्यक्ति के प्रति हम सबको मानवीय दृष्टिकोण* रखना चाहिए। संवेदनशीलता के आधार पर गोल्डेन आवर में उन्हें सहायता पहुँचा कर उनकी जान बचायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सहायता करने वालों को प्रशासन के तरफ से भी सभी सहयोग प्रदान किया जाता है। किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है। उनकी पहचान भी गुप्त रखी जाती है। डीएम ने सभी अनुमंडलों एवं प्रखंडों, अस्पतालों तथा थानों में गुड सेमेरिटेन (अच्छे मददगार व्यक्ति) से संबंधित प्रावधानों एवं नियमों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निदेश दिया।
ज़िलाधिकारी, पटना ने जिला परिवहन पदाधिकारी को बाल परिवहन समिति की भी नियमित तौर पर बैठक आयोजित कराने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों सहित किसी भी आम नागरिक की सुरक्षा से कोई भी खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारीगण सड़क सुरक्षा मानकों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराएँ।
ज़िलाधिकारी ने निदेश दिया कि जिला परिवहन पदाधिकारी विद्यालय वाहनों की नियमित तौर पर सघन जाँच करें। बच्चों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध दंड सहित विधि-सम्मत कठोरतम कार्रवाई करें।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि विद्यालय वाहन परिचालन विनियमन, 2020 के तहत शत-प्रतिशत विद्यालयों में बाल परिवहन समिति क्रियाशील रहनी चाहिए। उन्होंने निदेश दिया कि कमिटी का प्रावधानों के अनुसार समय-समय पर बैठक आयोजित किया जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विद्यालय प्रबंधन, वाहन चालकों एवं परिचरों, बस ऑपरेटर्स, माता-पिता/अभिभावकों एवं प्रशासन की यह सम्मिलित जिम्मेदारी है कि बच्चों की सुरक्षा हर हाल में हो।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि सुगम एवं सुचारू यातायात की व्यवस्था जनहित में आवश्यक है। यह हमारी कार्यशैली एवं जीवन-शैली पर काफी प्रभाव डालता है। जिला परिवहन पदाधिकारी पुलिस, प्रशासन, नगर विकास, ट्रैफिक, एनएचएआई, पथ निर्माण सहित अन्य सभी विभागों के जिला में पदस्थापित पदाधिकारियों के साथ सार्थक समन्वय स्थापित कर बेहतर यातायात प्रबंधन सुनिश्चित करें। सुरक्षित एवं सुगम यातायात प्रबंधन के सभी मानकों के प्रति सम्पूर्ण प्रशासनिक तंत्र सजग एवं तत्पर रहे। पार्किंग स्थल, वेंडिंग जोन, नो-इन्ट्री पर विचार, सड़क की चौड़ाई बढ़ाना, जाम एवं दुर्घटना का कारण खोजने एवं इसका समाधान करने, अतिक्रमण हटाने, सीसीटीवी कैमरों का अधिष्ठापन इत्यादि पर नियमानुसार कार्रवाई की जाए। उच्च तकनीकांे पर आधारित यातायात प्रबंधन के लिए सतत कार्य किया जाए।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि बिहार मोटरगाड़ी (संशोधन) नियमावली, 2020 में विद्यालय वाहन परिचालन से संबंधित विस्तृत दिशा-निदेश दिया गया है। जिला में सभी विद्यालयों के प्रबंधकों एवं प्राचार्यों को यह उपलब्ध कराया गया है। ज़िलाधिकारी ने कहा कि छात्र-छात्राओं की जीवनरक्षा एवं सुरक्षित यात्रा के लिए विद्यालय वाहनों के परिचालन का विनियमन इसके प्रावधानों के अनुसार सुनिश्चित किया जाए। समय-समय पर *वर्कशॉप एवं प्रशिक्षण सत्र का आयोजन* कर लोगों का उन्मुखीकरण करें ताकि सभी स्टेकहोल्डर्स नियमावली की बारीकियों से अवगत रहें। ज़िलाधिकारी ने कहा कि इस नियमावली का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। *स्कूली बच्चों की घर से विद्यालय तक एवं वापस घर तक सुरक्षित यात्रा हर हाल में होनी चाहिए*। उन्होंने कहा कि विद्यालय वाहनों के लिए मानकों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। प्रत्येक स्कूल प्रबंधन अपने-अपने यहाँ ‘‘बाल परिवहन समिति’’ की नियमित बैठक अनिवार्य रूप से करें एवं स्कूली बच्चों की सुरक्षित परिवहन व्यवस्था हर हाल में सुनिश्चित करें। जिला परिवहन पदाधिकारी इसका अनुपालन कराएंगे। जिला सड़क सुरक्षा समिति की प्रावधानों के अनुरूप ससमय बैठक हो जिसमें स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन से संबंधित उपायों की समीक्षा करें।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि *बच्चों के पाठ्य-सामग्री में भी सड़क सुरक्षा से संबंधित विषय अनिवार्य रूप से रहना चाहिए ताकि उन्हें जागरूक किया जा सके तथा दुर्घटना को रोका जा सके। बच्चों को संकेतक, यू-टर्न, ज़ेब्रा क्रॉसिंग सहित सभी तथ्यों की जानकारी* रहनी चाहिए।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि विद्यालय वाहन परिचालन विनियमन में विद्यालय वाहनों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। विद्यालय वाहन से तात्पर्य हैः-
I. स्कूल प्रबंधन या उसके प्रधानाचार्य/निदेशक या स्कूल के किसी अन्य पदाधिकारी के नाम पर विधिवत पंजीकृत सभी प्रकार के वाहन, या
II. विद्यालय में छात्र-छात्राओं के परिवहन हेतु निजी ऑपरेटर एवं विद्यालय प्रबंधन के बीच समझौते के तहत किराया अथवा लीज पर संचालित स्कूल वाहन, या
III. अन्य सभी श्रेणी के विधिमान्य वाहन जो स्कूली बच्चों को विद्यालय अथवा अभिभावक की सहमति से किसी विद्यालय के छात्र-छात्राओं का नियमित रूप से परिवहन कर रहे हों।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि इन तीनों श्रेणियों के वाहन विद्यालय वाहनों की परिधि में आते हैं तथा इन सभी पर बिहार मोटरगाड़ी (संशोधन) नियमावली का प्रावधान लागू होता है। अतः *विद्यालय प्रबंधन सहित सभी हितधारक* इसका अनुपालन सुनिश्चित करें।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि विद्यालय वाहन परिचालन अधिनियम में वाहनों के माध्यम से विद्यालय जाने वाले छात्र-छात्राओं को सुरक्षित रखने के लिए विद्यालय प्रबंधन द्वारा कार्रवाई अपेक्षित है। विद्यालय वाहनों के लिए निर्धारित निम्नलिखित मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य हैः-
1. बसों/अन्य वाहनों की बॉडी सुनहरे पीले रंग की होगी। यह रंग IS-5-1994 (समय-समय पर यथासंशोधित) के अनुरूप होगा।
2. यदि विद्यालय द्वारा बस या अन्य वाहन किसी वाहन ऑपरेटर से लीज अथवा किराया पर लिया गया है, तो बस के पीछे और सामने स्पष्ट रूप से ऑन-स्कूल ड्यूटी (On School Duty) प्रदर्शित करना होगा।
3. मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा-118 के आलोक में स्कूल बसों/स्कूल वाहनों में विनिर्दिष्ट मानक का गति नियंत्रक उपकरण (स्पीड गवर्नर) लगाना अनिवार्य होगा, जिसकी अधिकतम गति सीमा 40 कि.मी. प्रति घंटा होगी।
4. सभी वाहनों में एक प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स रखना अनिवार्य होगा।
5. वाहन में अग्निशामक यंत्र (ड्राई पाउडर टाईप) लगाना अनिवार्य होगा।
6. प्रत्येक स्कूल वाहन में केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 के नियम-125एच में उल्लिखित वीएलटीडी (Vehicle Location Tracking Device) और पैनिक बटन (Panic Button) लगाना अनिवार्य होगा।
7. प्रत्येक स्कूल वाहन में केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 के नियम-104 में उल्लिखित रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप (Retro Reflective Tape) लगाना अनिवार्य होगा।
8. प्रत्येक स्कूल बस/स्कूल वाहन को जीपीएस युक्त होना अनिवार्य होगा।
9. स्कूली बच्चों के परिवहन में संलग्न बस एवं अन्य सभी प्रकार के वाहनों का पंजीकरण व्यावसायिक यात्री वाहन के रूप में होगा। मोटरयान अधिनियम, 1988 के तहत स्कूल वाहनों के लिए सक्षम प्राधिकार से परमिट प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
10. आठ वर्ष तक के नये वाहनों को द्विवार्षिक एवं अन्य सभी स्कूली वाहनों को वार्षिक फिटनेस प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
11. स्कूल बस में सीसीटीवी को अनिवार्य रूप से स्थापित किया जाएगा, ताकि यात्रा के दौरान वाहन की गतिविधि को रिकॉर्ड किया जा सके। सीसीटीवी फुटेज 60 (साठ) दिनों तक स्कूल प्रबंधक को संरक्षित करना होगा। छोटे वाहनों (14-सीटर से कम) के लिए सीसीटीवी का अधिष्ठापन अनिवार्य नहीं होगा।
12. स्कूल बस से भिन्न अन्य व्यावसायिक छोटे वाहन; यथा ऑटो रिक्शा, मारूति ओमनी वैन, टाटा 407, टाटा एस, विंगर एवं अन्य कार जिसका उपयोग स्कूल के छात्रों के परिवहन के लिए नियमित रूप से किया जा रहा है, के द्वारा भी सुसंगत मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा। इस तरह के वाहन पर भी सामने और पीछे की तरफ एक विशिष्ट स्थान पर स्पष्ट अक्षरों में ‘स्कूल वैन’ अथवा ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।
13. माननीय सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा निर्गत सड़क सुरक्षा से संबंधित दिशा-निर्देशों तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार, परिवहन विभाग, बिहार सरकार या जिला प्रशासन अथवा विभिन्न शिक्षा बोर्ड द्वारा समय-समय पर निर्गत निदेश तत्समय लागू होंगे।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा तथा प्रदूषण नियंत्रण हम सभी के लिए आवश्यक है। जिला को सर्वानुकूल बनाना एवं सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों तथा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित कराना जरूरी है। चूँकि मामला *बच्चों की सुरक्षा से संबंधित है अतः हम सबको अतिरिक्त संवेदनशीलता प्रदर्शित* करनी पड़ेगी। ज़िलाधिकारी ने कहा कि विहित प्रावधानों के अनुसार विभिन्न स्तरों पर विद्यालय वाहन परिवहन अनुश्रवण समितियों की बैठक एवं कृत कार्रवाई की नियमित समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि समय-समय पर जाँच अभियान चलाया जाए तथा चेकलिस्ट के अनुसार वाहनों की जाँच की जाए। उल्लंघन पाए जाने पर दोषियों के विरूद्ध विधि-सम्मत कार्रवाई करें। ज़िलाधिकारी ने कहा कि विद्यालय वाहनों के लिए निर्धारित *पाँच मूलभूत मानदंडों- परमिट, स्पीड गवर्नर, बीमा, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल तथा फिटनेस- का अनुपालन* सुनिश्चित की जाए।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण अक्सर यातायात पर दबाव देखा जा रहा है। कंजेशन की समस्या दूर करने तथा सुचारू परिवहन के लिए यातायात-प्रबंधन आवश्यक है। ज़िलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि परिवहन व्यवस्था को *सुरक्षित, व्यवस्थित एवं जाम-मुक्त* बनाने हेतु लगातार कोशिश करें। *यातायात व्यवधान, अतिक्रमण एवं यातायात नियमों के उल्लंघन* के विरूद्ध सख्ती से कार्रवाई करें।
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