शिलान्यास, उद्घाटन , लोकार्पण और तोहफा जैसे शब्दों के साथ हीं बिहार का भी आज माखौल उड़ाया गया .

शिलान्यास, उद्घाटन , लोकार्पण और तोहफा जैसे शब्दों के साथ हीं बिहार का भी आज माखौल उड़ाया गया .


पटना  15  सितम्बर  2025 ; राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने भाजपा सहित एनडीए नेताओं से जानना चाहा कि आज बिहार को दिया गया 40,000 करोड़ का तोहफा कहां है। क्या बिहार को  केवल कागजी और विज्ञापनी तोहफा से हीं संतोष करना पड़ेगा ? इन योजनाओं के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में तो टोकन मनी की भी चर्चा नहीं है । ऐसे बिहार की जनता यह जानना चाहती है कि जिन योजनाओं का आज शिलान्यास किया गया, उन योजनाओं के लिए अभी कितनी राशि आवंटित किया गया है। 
      राजद प्रवक्ता ने बताया कि जिन योजनाओं का आज शिलान्यास किया गया है, इसमें तो कई ऐसी है जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री जी द्वारा पूर्व में हीं किया जा चुका है। पीरपैंती थर्मल पावर परियोजना का शिलान्यास तो  2024 के लोकसभा चुनाव के समय भी किया गया था। जबकि यह परियोजना यूपीए सरकार के समय हीं 21 दिसम्बर 2010 को स्वीकृत किया गया था। राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण में विलम्ब की वजह से शुरू नहीं हो सका था। इसी प्रकार कोशी - मेची अन्तरराज्यीय नदी सम्पर्क परियोजना को भी यूपीए सरकार के समय हीं स्वीकृति दी गई थी और उसमें लागत का 75 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार को वहन करना था और 25 प्रतिशत हीं राज्य को। जिसे एनडीए की केन्द्र सरकार दबा कर रखे हुए थी और नये शर्तों के अनुसार अब राज्य को  कुल लागत का 50 प्रतिशत राशि वहन करनी पड़ेगी। राजद प्रवक्ता ने कहा कि सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि जिन योजनाओं का आज शिलान्यास किया गया है उनके लिए बजट में कोई प्रावधान हीं नहीं है। और प्रचार ऐसे किया जा रहा है जैसे बिहार को 40,000 करोड़ की राशि मिल गई। वह भी तोहफा के रूप में।
        राजद प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री जी वही पुरानी घीसी-पीटी बातों को दुहरा रहे थे जिसे सुनते-सुनते बिहार की जनता उब चुकी है। बिहार के लोगों को घुसपैठिया कह कर उन्होंने बिहार को अपमानित किया है। यदि बिहार में घुसपैठिया है तो इसके लिए तो वही जिम्मेदार हैं क्योंकि केन्द्र और राज्य दोनों जगहों पर उनकी हीं सरकार है। उन्हें यह भी बताना चाहिए था कि अबतक कितने घुसपैठियों को बाहर किया गया है। 
        राजद प्रवक्ता ने कहा कि उनकी बिहार  यात्रा पर जितनी राशि बिहार का खर्च हो जाता है यदि उतनी राशि की भी कोई योजना बिहार को मिल जाता तो भी थोड़ा संतोष हो जाता । पर अबतक तो बिहार को केवल जुमला मिला है या बोली लगाई गई है।
        

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