शहीद रामचंद्र विद्यार्थी प्रजापति'  प्रतिमा का हुआ अनावरण

शहीद रामचंद्र विद्यार्थी प्रजापति' प्रतिमा का हुआ अनावरण

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना  

पटना के फतेहपुर गांव में आज इतिहास के सुनहरे पन्नों को फिर से जीवंत करने वाला क्षण देखने को मिला, जब स्वतंत्रता संग्राम के वीर सपूत “शहीद रामचंद्र विद्यार्थी प्रजापति जी” की प्रतिमा का भव्य अनावरण किया गया। यह सिर्फ एक मूर्ति का अनावरण नहीं था, बल्कि उन बलिदानियों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक था, जिन्होंने अपनी जान देश की आजादी के लिए न्योछावर कर दी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शीला पंडित प्रजापति (सदस्य, बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग) ने शिरकत की। उन्होंने प्रतिमा का लोकार्पण करते हुए कहा कि शहीद रामचंद्र विद्यार्थी प्रजापति मात्र 13 वर्ष की आयु में शहीद हो गए थे, लेकिन उनके साहस और देशप्रेम की मिसाल आज भी प्रेरणा देती है।

अनावरण समारोह में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, गणमान्य नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और स्कूल के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत शहीद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।

इस अवसर पर सुरेंद्र प्रजापति ने कहा कि "शहीद रामचंद्र विद्यार्थी प्रजापति जैसे वीर क्रांतिकारी इतिहास की वह मशाल हैं, जिनके त्याग के कारण हम आज स्वतंत्र हवा में सांस ले रहे हैं। उनका बलिदान देश के इतिहास में अमिट छाप छोड़ गया है।"

डॉ. कमलेश प्रजापति ने शहीद के संघर्षपूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे अल्पायु में ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़े हो गए थे। उनका साहस और देशभक्ति की भावना पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए, जिससे वातावरण भावनाओं और देशप्रेम से भर गया। वहीं डॉ. अरुण प्रजापति ने राज्य सरकार से मांग की कि हर वर्ष "रामचंद्र बलिदान दिवस" मनाया जाए, ताकि नई पीढ़ी को उनके योगदान की जानकारी मिल सके और वे देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ सके।

मौके पर लाल बिहारी प्रजापति, मनीष प्रजापति, गंगासागर प्रजापति, इंद्रदेव प्रजापति, मनोज प्रजापति, रोहित, ओमप्रकाश, बलराम, राजीव रतन, शशिरंजन सहित कई ग्रामीणों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
यह आयोजन न केवल एक स्मारक के उद्घाटन का अवसर था, बल्कि एक सशक्त संदेश भी था- "देश को आजादी दिलाने वाले वीरों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।"

शहीद रामचंद्र विद्यार्थी प्रजापति का जीवन, संघर्ष और बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। जिस तरह उन्होंने 13 साल की छोटी उम्र में अपने प्राण न्योछावर कर दिए, वह देशभक्ति का सर्वोच्च उदाहरण है।
आजादी के अमृत महोत्सव के इस दौर में ऐसे आयोजन याद दिलाता है कि आज जो स्वतंत्रता हमें मिली है, वह अनगिनत बलिदानों का परिणाम है। फतेहपुर गांव में स्थापित यह प्रतिमा न केवल उनकी स्मृति को जीवित रखेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती रहेगी कि सच्चा देशप्रेम त्याग और सेवा में निहित है।
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