अरशद फिरोज के नेतृत्व में राजकीय उर्दू पुस्तकालय विकास के पथ पर अग्रसर है।
पटना: राजकीय उर्दू लाइब्रेरी के नवनिर्मित भवन का परिचय देने तथा अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा के लिए आज राजकीय उर्दू लाइब्रेरी के अध्यक्ष अरशद फिरोज की अध्यक्षता में उर्दू पत्रकारों एवं प्रख्यात हस्तियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर अरशद फिरोज ने कहा कि राजकीय उर्दू लाइब्रेरी, पटना की स्थापना वर्ष 1938 में डॉ सैयद महमूद द्वारा की गई थी। स्थापना के वर्ष से ही पुस्तकालय अपने स्वयं के भवन में अवस्थित है। पुस्तकालय में पुस्तकों की प्रचुरता तथा छात्र/शोधार्थियों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए शिक्षा विभाग द्वारा पुस्तकालय परिसर में पांच मंजिला नया भवन बनाया गया है। जिसका उद्घाटन पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। उन्होंने आगे कहा कि पुस्तकालय में करीब चालीस हजार पुस्तकें हैं। इसके अलावा पुस्तकालय के आधुनिकीकरण का काम काफी तेजी से चल रहा है प्रथम तल शोध एवं अन्य कार्यों के लिए आरक्षित रहेगा, द्वितीय तल भी परिचर्चा एवं प्रेजेंटेशन के लिए रखा जाएगा, तृतीय तल पर कांफ्रेंस हॉल एवं चतुर्थ तल पर स्टैक रूम होगा। इस अवसर पर डॉ खालिद अनवर एमएलसी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस पुस्तकालय भवन के निर्माण एवं उद्घाटन के लिए किए गए कार्य से उर्दू समाज के लोगों में खुशी की लहर है। मुख्यमंत्री उर्दू के विकास, उर्दू अनुवादकों, उप अनुवादकों एवं उर्दू शिक्षकों के पुनर्वास के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उर्दू भाषियों को नकारात्मक दृष्टिकोण त्याग कर सकारात्मक सोच अपनाने के लिए तत्पर होना चाहिए। प्रसिद्ध राजनीतिक एवं सामाजिक नेता अशफाक रहमान ने कहा कि उर्दू भाषी ही उर्दू को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उर्दू का माहौल खत्म हो रहा है। इसे बहाल करने की जरूरत है और इसके लिए बच्चों में उर्दू के प्रति माहौल बनाना चाहिए तथा उर्दू के प्रति रुचि पैदा करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित करनी चाहिए। मानव स्वभाव लालची होता है, इसलिए बच्चों में उर्दू के प्रति लालच पैदा करने की जरूरत है। उर्दू एक्शन कमेटी के अध्यक्ष अशरफ फरीद ने कहा कि उर्दू लोगों को हीन भावना की स्थिति में नहीं रहना चाहिए और सकारात्मक सोच के साथ उर्दू के विकास के लिए प्रयास करना चाहिए. उर्दू एक प्यारी और मीठी भाषा है। इसका जादू सिर चढ़कर बोलता है.
इस मौके पर प्रशासनिक परिषद के सदस्य अकबर रजा जमशेद, मुहम्मद नसीमुद्दीन अहमद और डॉ. अनवारुल हुदा के अलावा असफर फरीद, सिराज अनवर, शाहिद इकबाल, एमए शाबान, जिया उल्हसन हमीदी, मुहम्मद जावेद, प्रोफेसर डॉ. मुहम्मद सईद आदि ने भी संबोधित किया। सत्र में अनवारुल्लाह, मुबीनुल हुदा, नवाब अतीक-उज़मां, इशाक असर खुर्शीद आलम, परवेज आलम, अज़हरुल हक, शाहिदुल हक आदि भी शामिल हुए।
0 Response to "अरशद फिरोज के नेतृत्व में राजकीय उर्दू पुस्तकालय विकास के पथ पर अग्रसर है।"
एक टिप्पणी भेजें