आपातकाल: लोकतंत्र का काला अध्याय' विषय पर संगोष्ठी आयोजित, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल भी हुए शामिल

आपातकाल: लोकतंत्र का काला अध्याय' विषय पर संगोष्ठी आयोजित, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल भी हुए शामिल

*कांग्रेस के एकाधिकार समाप्त करने और मजबूत विपक्ष के लिए जनसंघ का निर्माण हुआ: मनोहर लाल खट्टर*

*कांग्रेस ने 1971 में गरीबी हटाओ का नारा दिया और झूठतंत्र का सहारा लिया: मनोहर लाल खट्टर*

*कांग्रेस ने आपातकाल के जरिए देश के संविधान को बंधक बनाया था: डॉ. दिलीप जायसवाल*

*आपातकाल के दौरान सत्ता की तानाशाही ने संविधान पर संहार किया था: डॉ. दिलीप जायसवाल*

पटना, 24 जून। बिहार विधानसभा विस्तारित भवन सभागार में आज 'आपातकाल: लोकतंत्र का काला अध्याय' विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई है। इस संगोष्ठी में सभी वक्ताओं ने आपातकाल को लेकर अपनी बात रखी।

इस संगोष्ठी में शामिल केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आजादी के बाद एकाधिकार तंत्र से सरकार बनी थी। इस एकाधिकार को समाप्त करने के लिए जनसंघ का निर्माण हुआ। जनसंघ का लक्ष्य एक मजबूत विपक्ष का निर्माण था। एकाधिकार को समाप्त करने के लिए संघर्ष शुरू हुआ। 1967 में यह संदेश गया कि लोकतंत्र के जरिए सरकार बदली जा सकती है।
कांग्रेस ने 1971 में गरीबी हटाओ का नारा दिया और झूठतंत्र हावी हुआ। उन्होंने कहा कि इसके बाद तानाशाही से देश में आपातकाल लगाया गया। इस दौरान न केवल विपक्ष को कुचला गया, प्रेस की आजादी छीन ली गई। लोकतंत्र मजाक बन गया।

संगोष्ठी में भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि इस संगोष्ठी से युवाओं को आपातकाल को लेकर कई जानकारियाँ मिल रही हैं। उन्होंने आपातकाल को कांग्रेस का काला अध्याय बताते हुए कहा कि इस आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या की थी।

उन्होंने कहा कि तब के संस्मरणों को सुनने के बाद आज भी लोग सिहर उठते हैं। उस स्थिति को जानकर समझा जा सकता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में कैसे लोकतंत्र को चलाया जाता था। उन्होंने आपातकाल की चर्चा करते हुए कहा कि इसके जरिए हमारे देश पर स्वार्थ का काला साया पड़ा था। कांग्रेस ने आपातकाल के जरिए देश के संविधान को बंधक बनाया था।
भाजपा अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि आपातकाल की अवधि में विपक्ष की आवाज दबा दी गई थी, अखबारों और प्रेस पर ताले जड़ दिए गए, न्यायपालिका को नजरअंदाज किया गया और जनता के अधिकारों को कुचल दिया गया।

उन्होंने कहा कि सही अर्थों में कहें तो आपातकाल के दौरान सत्ता की तानाशाही ने संविधान पर संहार किया था। उन्होंने कहा कि आज इस संगोष्ठी के जरिए गंभीर विषय पर चर्चा हो रही है।

इस अवसर पर संगोष्ठी में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव, सांसद भीम सिंह, धर्मशीला गुप्ता, पूर्व सांसद रामकृपाल यादव, विधायक संजीव चौरसिया, प्रदेश उपाध्यक्ष अमृता भूषण राठौर, संजय खंडेलिया, प्रदेश मंत्री धनराज शर्मा, त्रिविक्रम नारायण सिंह, सुधा सिंह, पटना महानगर अध्यक्ष रूप नारायण मेहता, पटना ग्रामीण अध्यक्ष रजनीश कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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