जिलाधिकारी ने की लोक शिकायत निवारण एवं आरटीपीएस की समीक्षा
पटना, सोमवार, दिनांक 13.01.2025ः जिलाधिकारी द्वारा लोक शिकायत निवारण एवं आरटीपीएस से संबंधित मामलों की समीक्षा की गयी। सभी लोक प्राधिकारों एवं अधिकारियों को आवेदनों का त्वरित निष्पादन करने का निदेश दिया गया।
समीक्षा में पाया गया कि जिला में लोक शिकायत निवारण में विगत एक सप्ताह में 345 मामलों को निष्पादित किया गया है जबकि 232 परिवाद प्राप्त हुआ था। विगत 30 कार्य दिवस से अधिक लंबित मामलों की संख्या 519; विगत 45 कार्य दिवस से अधिक लंबित मामलों की संख्या 308 तथा विगत 60 कार्य दिवस से अधिक लंबित मामलों की संख्या शून्य है। लंबित परिवादों की कुल संख्या 2,327 है। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित पदाधिकारियों को इन लंबित मामलों को निर्धारित समय सीमा के अंदर निष्पादन करने का निदेश दिया।
लोक शिकायत निवारण के अपील मामलों के क्रियान्वयन की समीक्षा में पाया गया कि प्रथम अपील के लिए दायर 9,977 मामलों में 9,708 मामलों को निष्पादित कर दिया गया है। 60 कार्य दिवस से कम 269 मामले तथा 60 कार्य दिवस से अधिक शून्य मामले लंबित है। द्वितीय अपील के लिए दायर 3,638 मामलों में 3,556 मामलों को निष्पादित किया गया है। 60 कार्य दिवस से कम 82 मामले तथा 60 कार्य दिवस से अधिक शून्य मामले लंबित है। 95 मामलों में लोक प्राधिकार के विरुद्ध आर्थिक दण्ड लगाया गया है जिसमें 2,61,800 रूपये की राशि दण्ड स्वरूप अध्यारोपित है। 25 मामलों में अनुशासनिक कार्रवाई हेतु अनुशंसा की गई है। जिलाधिकारी ने कहा कि जिन-जिन अधिकारियों पर दंड लगाया गया है वे अविलंब दंड की राशि जमा कर दें अन्यथा उनके वेतन से कटौती की जाएगी।
सुनवाई से लोक प्राधिकारों की अनुपस्थिति का प्रतिशत 0.21 है। विगत सप्ताह अर्थात दिनांक 28 दिसम्बर से 09 जनवरी तक की सुनवाई से अनुमंडल लोक शिकायत निवारण कार्यालय, दानापुर से लोक प्राधिकार थानाध्यक्ष, बिहटा चार बार अनुपस्थित थे। जिलाधिकारी ने कारण-पृच्छा करते हुए इनके नियंत्री पदाधिकारियों के माध्यम से स्पष्टीकरण प्राप्त करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। लोक शिकायतों की सुनवाई में लोक प्राधिकारों की हर हाल में शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित रहनी चाहिए। सुनवाई से आदतन अनुपस्थित रहने वाले लोक प्राधिकारों का वेतन स्थगित रखते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक एवं विभागीय कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी।
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बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम अन्तर्गत अतिक्रमण वाद के 432 मामले निष्पादन हेतु लंबित हैं। इसमे श्रेणी-सी में अतिक्रमण के 89 मामलों में अंचल अधिकारियों से प्रतिवेदन प्राप्त होना शेष है। इसमें दो अंकों में लंबित अंचलों में बिहटा में 21, दानापुर में 21, धनरूआ में 11 तथा पुनपुन में 19 मामले निष्पादन हेतु लंबित है। अथमलगोला, बख्तियारपुर, बाढ़, बेलछी, दनियावॉ, दुल्हिनबाजार, फतुहा, घोसवरी, खुशरूपुर, मनेर, मोकामा, पालीगंज तथा पंडारक अंचलों में यह शून्य है। बाकी अंचलों में लंबित मामलों की संख्या सिंगल डिजिट में है। जिलाधिकारी द्वारा विशेष रूचि लेकर इसका निष्पादन करने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि श्रेणी-सी के तहत सभी अंचलों में अतिक्रमण के शून्य मामले लंबित रहना चाहिए। इस श्रेणी के तहत वैसे मामले आते हैं जिसमें अंचल अधिकारी को निर्णय लेना है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है या नहीं। प्रतिवेदन से स्पष्ट होता है कि 89 मामलों में निर्णय ही नहीं लिया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। निर्णय नहीं लिया जाना खेदजनक है। सभी संबंधित अंचल अधिकारी राजस्व कर्मचारी से जाँच कराते हुए अविलंब प्रतिवेदन समर्पित करें। अगर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण पाया जाए तो अतिक्रमणवाद प्रारंभ करते हुए 90 कार्य दिवस के अंदर मुखर आदेश पारित करते हुए मामले को नियमानुसार निष्पादित करें।
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जिलाधिकारी ने अंचल अधिकारियों को निदेश दिया कि 90 दिन से अधिक से लंबित अतिक्रमण के मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित करें।
बैठक में अंचलाधिकारियों एवं थानाध्यक्षों की संयुक्त बैठक की समीक्षा की गई। इसमें पाया गया कि 23 अंचलों में संयुक्त बैठक के कुल 10,909 कार्यवाही को अपलोड किया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि संयुक्त शनिवारीय बैठक का भूमि विवादों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निदेश दिया कि नियमित तौर पर अंचलाधिकारी एवं थानाध्यक्ष का हरएक शनिवार को संयुक्त शनिवारीय बैठक आयोजित हो। साथ ही इसे भू-समाधान पोर्टल पर भी अपलोड किया जाए।
आरटीपीएस में प्रगति की समीक्षा की गई। इसमें कुल एक्सपायर्ड मामलों की संख्या 2 है। जिलाधिकारी ने इसे अविलंब नियमानुसार निष्पादित करने का निदेश दिया। जिन मामलों में तकनीकी समस्याओं के कारण ऑनलाइन निष्पादन प्रदर्शित नहीं हो रहा है उन मामलों में विभाग से समन्वय कर ऑनलाइन एक्सपायरी की संख्या नियमानुसार शून्य करने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि एक्सपायर्ड मामलों की संख्या हर हाल में शून्य रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरटीपीएस अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप समय-सीमा के अंदर आवेदनों का गुणवत्तापूर्ण निष्पादन सुनिश्चित करें। आम जनता को सेवा प्रदान करने में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 तथा बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम, 2011 का सफल क्रियान्वयन सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध रहें। योजनाओं के क्रियान्वयन में शिथिलता, अनियमितता एवं लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि आरटीपीएस के मामलों में जिन-जिन अंचलों/प्रखंडों में शिथिलता बरती जा रही है वहाँ संबंधित अपीलीय प्राधिकार अनुमंडल पदाधिकारी समीक्षा करते हुए मामलों की स्वतः सुनवाई करेंगे तथा लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध नियमानुसार दंड अध्यारोपित करेंगे। यही नियम लोक शिकायत निवारण के मामलों में भी लागू किया होगा।
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