मुसलमान हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को एक पैग़म्बर की तरह मानते हैं : सैय्यद दानिश

मुसलमान हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को एक पैग़म्बर की तरह मानते हैं : सैय्यद दानिश

ईसा अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने रूहुल्लाह का लक़ब दिया क्योंकि ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से मुर्दों को ज़िंदा किये करते थे और कोढियों को शिफ़ा दिया करते थे। ईसा अलैहिस्सलाम क़ुरआन में ख़ुद अपने बारे में इरशाद फ़रमाते हैं "और मैं मुर्दों को ज़िंदा करता हूँ और कोढ़ियों को शिफ़ा देता हूँ अल्लाह के हुक्म से" यहां एक बात ग़ौर करने वाली है के कुछ लोग कहते हैं के अल्लाह के अलावा किसी को ये इख़्तियार नहीं के वो मुर्दों को ज़िंदा कर दे जबकि ईसा अलैहिस्सलाम ख़ुद क़ुरआन में फ़रमाते हैं के मैं मुर्दों को ज़िंदा करता हूँ और कोढ़ियों को शिफ़ा देता हूँ अल्लाह के हुक्म से लिहाज़ा ये कह देना के नबियों को कोई इख़्तियार नहीं ये बेबुनियाद और जाहिलाना बात है। जब मेहंदी अलैहिस्सलाम दुनियां में आएंगे उसी वक़्त ईसा अलैहिस्सलाम भी आएंगे। फिर ईसा अलैहिस्सलाम का निकाह होगा और उनको मौत भी आएगी क्योंकि ईसा अलैहिस्सलाम का निकाह नहीं हुआ है और ना ही उनको मौत आई है। मेहंदी अलैहिस्सलाम दज्जाल का ख़ात्मा करेंगे और इस तरह क़यामत आ जायेगी।

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