मुसलमानों की बदहाली की असली वजह : सैय्यद दानिश
मुसलमानों को सोचना चाहिए की वो अन्य राजनीतक पार्टियों की बंधुआ मज़दूरी करते करते किस हाशिये पर चले गए। ये वाक़ई सोचने का विषय है कि जो क़ुरआन पहली ही आयत में कह रहा है *पढ़ो* उस क़ौम की हालत आज दलितों से भी बदतर हो गई। आंख मूंदकर बंधुआ मज़दूरी करते करते इस क़ौम ने दूसरे दलों के घरों में रौशनी तो कर दी मगर ख़ुद अंधकार में चली गई। मुसलमानों की बदहाली की सबसे बुनियादी वजह है इस्लामी तालीमात से दूरी और दूसरी बुनियादी वजह है हर किसी में अपना रहनुमा तलाश कर लेना और उसके पीछे दौड़ पड़ना। मुसलमानों के लिए ये एक इबरत का मक़ाम है कि प्रशांत किशोर जी मुसलमानों को क़ुरआन व हदीस की बातें बताकर जगा रहे हैं जबकि ये काम मुस्लिम धर्मगुरुओं का था। मुसलमानों को अगर अपनी बदहाली दूर करनी है तो उन्हें सबसे पहले संगठित होना और अपनी नियत को साफ़ करना होगा और इसके बाद उनको अमन पसन्द हिंदुओं के साथ मिलकर राजनीति की नई पारी की शरूआत करनी होगी और इसके लिए उनके पास जन सुराज एक विकल्प है जिसके ज़रिए वो ख़ुद को राजनीतिक रूप से मज़बूत कर सकते हैं। अमन पसन्द हिन्दू भी मुसलमान के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहते हैं मगर वो भी चाहते हैं मुसलमान सँगठित हो।
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