आजादी की विरासत को याद रखना जरूरी है(पुस्तक: ‛लड़ेंगे और जीतेंगे’ का लोकार्पण समारोह)

आजादी की विरासत को याद रखना जरूरी है(पुस्तक: ‛लड़ेंगे और जीतेंगे’ का लोकार्पण समारोह)


पटना: 11 नवंबर। प्रगतिशील लेखक संघ पटना और भगत सिंह विचार मंच ने संयुक्त रूप से सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार शाही की किताब ‛लड़ेंगे और जीतेंगे’ का लोकार्पण समारोह आयोजित किया। समारोह में काफी संख्या में बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रबुद्ध लोग शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मगध विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. कार्यानंद पासवान ने की। सभा का संचालन कवि चंद्रबिंद ने किया।
 अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. कार्यानंद पासवान ने कहा कि “यह किताब गागर में सागर है। आज इस तरह की किताबों की आवश्यकता है। ये पुस्तक आजादी की विरासत को समझने के लिए जरूरी है। ये पुस्तक मूल्यों की बात करता है, नैतिकता की बात करता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने वाली है। यह पुस्तक पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देता है।”
सामाजिक कार्यकर्ता विश्वजीत ने स्वागत वक्तव्य में बताया कि “यह किताब बहुत ही महत्वपूर्ण है। लोगों को साहस प्रदान करने वाला है। आज जरूरी है कि समाज को ऐसे लोगों के बारे जानना चाहिए जो हमारे भीतर ऊर्जा का संचार करे।”
लेखक चितरंजन भारती ने कहा कि “यह किताब संघर्ष करने वाले लोगों की दास्तान है। बहुत सरल तरीके से समाज का नेतृत्व करने वाले और उनके संघर्ष के बारे में बताया गया है।”
लेखक व शिक्षाविद अनिल कुमार ने इस पुस्तक के लिए लेखक को बधाई दी और कहा- “अंधकार के समय में यह किताब एक सिंहनाद है। एक उम्मीद है। इस किताब के बहाने रौशनी फैलाने वालों को याद किया गया है। समाज और खासकर युवाओं को यह किताब पढ़ना चाहिए। यह किताब इतिहास को वर्तमान से जोड़ता है। सच बोलने के लिए प्रेरित करता है।”
लेखक अभय पांडेय ने कहा कि हर युवा को इस पुस्तक से गुजरना चाहिए। इस पुस्तक के लेखक बहुत ही संघर्षशील हैं। खुद उनका जीवन प्रेरणादायी है।
पटना विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सुधीर ने कहा कि यह पुस्तक न्याय और समानता की बात करता है। बहुत ही सकारात्मक प्रयास है।
प्रो. हर्षवर्धन ने बताया कि यह पुस्तक कौतूहल पैदा करता है। ये पुस्तक देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वालों की राह पर चलने के लिए प्रेरित करता है। अलख जगाने वाली पुस्तक है ये।
शिक्षक व पुस्तक के लेखक राजकुमार शाही ने बताया है कि छात्रों के बीच रहते हुए मुझे इस पुस्तक का विचार आया। इस पुस्तक के माध्यम से सही विचारों को सामने लाने की कोशिश की है।
सभा में देवरत्न प्रसाद, निखिल, डॉ अंकित, अशोक कुमार सिन्हा, अनंत शर्मा, जितेंद्र कुमार, प्रमोद नंदन, कृष्ण मुरारी, संजय कुमार, डॉ कृष्ण कुमार, चंद्रभूषण राय आदि मौजूद थे।

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