बांकेबाजार की महिलाओं द्वारा मशरूम उत्पादन में नया तरीका -संजय कुमार अग्रवाल

बांकेबाजार की महिलाओं द्वारा मशरूम उत्पादन में नया तरीका -संजय कुमार अग्रवाल

गया जिलान्तर्गत बांकेबाजार की महिलाएं नित्य नये तरीके से मशरूम का उत्पादन कर रही हैं।
इसके तहत अब ऑएस्टर मशरूम के लिए बार बार पॉलीथीन का उपयोग न कर एक बार में एक प्लास्टिक बाल्टी क्रय कर उसमें ही अच्छा उत्पादन प्राप्त कर रही हैं।
मशरूम उत्पादन की विधि
प्लास्टिक बाल्टी में पांच किलो गर्म पानी से उपचारित भूसा रखकर उसमें मशरूम बीज (Spawn) छिड़क देते हैं।
एक बार में एक बाल्टी से पांच से सात किलो मशरूम उत्पादित हो जाता है।
इसे तोड़कर पुनः बाल्टी में भूसा Refilling करते हैं।
महिलाएं इससे अच्छी आय प्राप्त कर रही हैं तथा प्लास्टिक के अनावश्यक उपयोग से बच रही हैं।
मशरूम उत्पादन के लाभ
गर्म पानी से भूसा उपचारित होने के कारण इससे उत्पादित मशरूम जैविक होते हैं।
कुछ बड़े मशरूम उद्यमी इन बाल्टियों को अपने प्लांट में भी त्मपिससपदह की सुविधा उपलब्ध कराते हैं।
इनमें माईसेलियम आये रहने के कारण मात्र सात दिनों में ही इससे मशरूम तैयार हो जाता है।

सचिव, कृषि विभाग, बिहार श्री संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि बिहार मशरूम उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है। मशरूम उत्पादन में महिलाओं का योगदान सराहनीय है। मशरूम उत्पादन न केवल किसान परिवार के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है, बल्कि यह फसल अवशेष प्रबंधन में भी सहायक है। 
मशरूम उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएँ
उन्होंने बताया कि कृषि विभाग उद्यान निदेशालय के माध्यम से वाणिज्यक मशरूम उत्पादन इकाई के स्थापना के लिए 50 प्रतिशत अथवा 10 लाख रूपये प्रति इकाई, मशरूम स्पॉन निर्माण के लिए 7.50 लाख रूपये प्रति इकाई तथा मशरूम कम्पोस्ट इकाई के स्थापना के लिए 10 लाख रूपये अनुदान की व्यवस्था की गई है। साथ ही, झोपड़ी में मशरूम उत्पादन के लिए 89.75 हजार रूपये की व्यवस्था की गई है। साथ ही, मशरूम किट के लिए 54 रूपये प्रति इकाई (90 प्रतिशत) का प्रावधान किया गया है।

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