आयुक्त की अध्यक्षता में प्रमंडलीय बाल परिवहन समिति की बैठक
सभी विद्यालयों में बाल परिवहन समिति अनिवार्य रूप से गठित एवं क्रियाशील रखने का आयुक्त ने दिया सभी जिलाधिकारियों को निदेश
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स्कूल वाहनों में वीएलटीडी, पैनिक बटन, अग्निशामक यंत्र, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स सहित सभी सुरक्षात्मक प्रबंध रखना आवश्यक, आयुक्त ने एक महीना के अंदर जाँच करने का दिया निदेश
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बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण; सभी स्टेकहोल्डर्स इसके प्रति सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध रहेंः आयुक्त
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पटना, सोमवार, दिनांक 30 सितम्बर, 2024ः आयुक्त, पटना प्रमंडल, पटना-सह-अध्यक्ष, प्रमंडल-स्तरीय बाल परिवहन समिति, पटना श्री मयंक वरवड़े ने कहा है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए सभी भागीदारों (स्टेकहोल्डर्स) को सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध रहना होगा। वे आज आयुक्त कार्यालय स्थित अपने कार्यालय प्रकोष्ठ में समिति की प्रमंडल-स्तरीय बैठक में पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। आयुक्त ने कहा कि विद्यालय प्रबंधन, वाहन चालकों एवं परिचरों, बस ऑपरेटर्स, माता-पिता/अभिभावकों एवं प्रशासन की यह सम्मिलित जिम्मेदारी है कि बच्चों की सुरक्षा हर हाल में हो।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस बैठक में प्रमंडल अंतर्गत सभी जिलों के जिलाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा अन्य भी उपस्थित थे।
आयुक्त श्री मयंक वरवड़े ने कहा कि बिहार मोटरगाड़ी (संशोधन) नियमावली, 2020 में विद्यालय वाहन परिचालन से संबंधित विस्तृत दिशा-निदेश दिया गया है। जिलाधिकारियों ने बताया है कि उनके-उनके जिलों में सभी विद्यालयों के प्रबंधकों एवं प्राचार्यों को यह उपलब्ध कराया गया है तथा बैठक की जाती है। आयुक्त ने कहा कि छात्र-छात्राओं की जीवनरक्षा एवं सुरक्षित यात्रा के लिए विद्यालय वाहनों के परिचालन का विनियमन इसके प्रावधानों के अनुसार सुनिश्चित किया जाए। समय-समय पर वर्कशॉप एवं प्रशिक्षण सत्र का आयोजन कर लोगों का उन्मुखीकरण करें ताकि सभी स्टेकहोल्डर्स नियमावली की बारीकियों से अवगत रहें।
आयुक्त ने कहा कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा स्कूल बस में बच्चों को चढ़ाने एवं उतारने के लिए योग्य परिचारक की व्यवस्था आवश्यक है। बालिका विद्यालयों के मामले में एक महिला परिचारक अनिवार्य रूप से रहनी चाहिए। आयुक्त ने जिला परिवहन पदाधिकारियों को निदेश दिया कि कैम्प लगाकर वाहन चालकों की शारीरिक एवं मानसिक फिटनेस की समय-समय पर जाँच कराएँ। जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निदेशित किया गया कि सभी विद्यालय प्रबंधनों से यह सुनिश्चित कराएँ कि समय-समय पर चालकों, संवाहकों एवं परिचालकों के क्रियाकलाप की समीक्षा की जा रही है। विद्यार्थियों की सुरक्षा के सभी मानकों के प्रति चालकों, संवाहकों एवं परिचालकों का संवेदीकरण किया जाए।
आयुक्त श्री मयंक वरवड़े ने सभी जिला परिवहन पदाधिकारियों को निदेश दिया कि एक महीना के अंदर सभी स्कूल वाहनों में जाँच करें कि उसमें स्पीड गवर्नर, वीएलटीडी (Vehicle Location Tracking Device) और पैनिक बटन (Panic Button) लगा हुआ है कि नहीं। वाहन में अग्निशामक यंत्र (ड्राई पाउडर टाईप) है कि नहीं। प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स का प्रबंध है कि नहीं।
आयुक्त ने कहा कि इस नियमावली का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। स्कूली बच्चों की घर से विद्यालय तक एवं वापस घर तक सुरक्षित यात्रा हर हाल में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यालय वाहनों के लिए मानकों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। प्रत्येक स्कूल प्रबंधन अपने-अपने यहाँ ‘‘बाल परिवहन समिति’’ की नियमित बैठक अनिवार्य रूप से करें एवं स्कूली बच्चों की सुरक्षित परिवहन व्यवस्था हर हाल में सुनिश्चित करें। जिला परिवहन पदाधिकारी तथा ज़िला शिक्षा पदाधिकारी इसका अनुपालन कराएंगे। सभी जिला पदाधिकारी इसका अनुश्रवण करेंगे। जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में हर जिला में जिला सड़क सुरक्षा समिति की प्रावधानों के अनुरूप ससमय बैठक हो जिसमें स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन से संबंधित उपायों की समीक्षा करें।
बैठक में संयुक्त आयुक्त-सह-सचिव, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार, पटना प्रमंडल, पटना श्री मनोज कुमार चौधरी द्वारा पीपीटी के माध्यम से विद्यालय वाहन परिचालन विनियमन के विभिन्न प्रावधानों पर प्रस्तुति दी गई।
आयुक्त ने सभी जिलाधिकारियों को निदेश देते हुए कहा कि उनके-उनके जिलों में सभी विद्यालयों में बाल परिवहन समिति अनिवार्य रूप से गठित एवं क्रियाशील रहना चाहिए।
आयुक्त ने कहा कि बच्चों के पाठ्य-सामग्री में भी सड़क सुरक्षा से संबंधित विषय अनिवार्य रूप से रहना चाहिए ताकि उन्हें जागरूक किया जा सके तथा दुर्घटना को रोका जा सके। बच्चों को संकेतक, यू-टर्न, ज़ेब्रा क्रॉसिंग सहित सभी तथ्यों की जानकारी रहनी चाहिए।
आयुक्त ने कहा कि विद्यालय वाहन परिचालन विनियमन में विद्यालय वाहनों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। विद्यालय वाहन से तात्पर्य हैः-
I. स्कूल प्रबंधन या उसके प्रधानाचार्य/निदेशक या स्कूल के किसी अन्य पदाधिकारी के नाम पर विधिवत पंजीकृत सभी प्रकार के वाहन, या
II. विद्यालय में छात्र-छात्राओं के परिवहन हेतु निजी ऑपरेटर एवं विद्यालय प्रबंधन के बीच समझौते के तहत किराया अथवा लीज पर संचालित स्कूल वाहन, या
III. अन्य सभी श्रेणी के विधिमान्य वाहन जो स्कूली बच्चों को विद्यालय अथवा अभिभावक की सहमति से किसी विद्यालय के छात्र-छात्राओं का नियमित रूप से परिवहन कर रहे हों।
आयुक्त ने कहा कि इन तीनों श्रेणियों के वाहन विद्यालय वाहनों की परिधि में आते हैं तथा इन सभी पर बिहार मोटरगाड़ी (संशोधन) नियमावली का प्रावधान लागू होता है। अतः विद्यालय प्रबंधन सहित सभी हितधारक इसका अनुपालन सुनिश्चित करें।
आयुक्त ने कहा कि विद्यालय वाहन परिचालन अधिनियम में वाहनों के माध्यम से विद्यालय जाने वाले छात्र-छात्राओं को सुरक्षित रखने के लिए विद्यालय प्रबंधन द्वारा कार्रवाई अपेक्षित है। विद्यालय वाहनों के लिए निर्धारित निम्नलिखित मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य हैः-
1. बसों/अन्य वाहनों की बॉडी सुनहरे पीले रंग की होगी। यह रंग IS-5-1994 (समय-समय पर यथासंशोधित) के अनुरूप होगा।
2. यदि विद्यालय द्वारा बस या अन्य वाहन किसी वाहन ऑपरेटर से लीज अथवा किराया पर लिया गया है, तो बस के पीछे और सामने स्पष्ट रूप से ऑन-स्कूल ड्यूटी (On School Duty) प्रदर्शित करना होगा।
3. मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा-118 के आलोक में स्कूल बसों/स्कूल वाहनों में विनिर्दिष्ट मानक का गति नियंत्रक उपकरण (स्पीड गवर्नर) लगाना अनिवार्य होगा, जिसकी अधिकतम गति सीमा 40 कि.मी. प्रति घंटा होगी।
4. सभी वाहनों में एक प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स रखना अनिवार्य होगा।
5. वाहन में अग्निशामक यंत्र (ड्राई पाउडर टाईप) लगाना अनिवार्य होगा।
6. प्रत्येक स्कूल वाहन में केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 के नियम-125एच में उल्लिखित वीएटीडी (Vehicle Location Tracking Device) और पैनिक बटन (Panic Button) लगाना अनिवार्य होगा।
7. प्रत्येक स्कूल वाहन में केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 के नियम-104 में उल्लिखित रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप (Retro Reflective Tape) लगाना अनिवार्य होगा।
8. प्रत्येक स्कूल बस/स्कूल वाहन को जीपीएस युक्त होना अनिवार्य होगा।
9. स्कूली बच्चों के परिवहन में संलग्न बस एवं अन्य सभी प्रकार के वाहनों का पंजीकरण व्यावसायिक यात्री वाहन के रूप में होगा। मोटरयान अधिनियम, 1988 के तहत स्कूल वाहनों के लिए सक्षम प्राधिकार से परमिट प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
10. आठ वर्ष तक के नये वाहनों को द्विवार्षिक एवं अन्य सभी स्कूली वाहनों को वार्षिक फिटनेस प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
11. स्कूल बस में सीसीटीवी को अनिवार्य रूप से स्थापित किया जाएगा, ताकि यात्रा के दौरान वाहन की गतिविधि को रिकॉर्ड किया जा सके। सीसीटीवी फुटेज 60 (साठ) दिनों तक स्कूल प्रबंधक को संरक्षित करना होगा। छोटे वाहनों (14-सीटर से कम) के लिए सीसीटीवी का अधिष्ठापन अनिवार्य नहीं होगा।
12. स्कूल बस से भिन्न अन्य व्यावसायिक छोटे वाहन; यथा ऑटो रिक्शा, मारूति ओमनी वैन, टाटा 407, टाटा एस, विंगर एवं अन्य कार जिसका उपयोग स्कूल के छात्रों के परिवहन के लिए नियमित रूप से किया जा रहा है, के द्वारा भी सुसंगत मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा। इस तरह के वाहन पर भी सामने और पीछे की तरफ एक विशिष्ट स्थान पर स्पष्ट अक्षरों में ‘स्कूल वैन’ अथवा ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।
13.माननीय सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा निर्गत सड़क सुरक्षा से संबंधित दिशा-निर्देशों तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार, परिवहन विभाग, बिहार सरकार या जिला प्रशासन अथवा विभिन्न शिक्षा बोर्ड द्वारा समय-समय पर निर्गत निदेश तत्समय लागू होंगे।
आयुक्त ने कहा कि विद्यालय प्रबंधन बच्चों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील रहें। उन्हें उम्मीद है कि सभी भागीदार स्व-जिम्मेदारी के आधार पर दिशा-निदेशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।
आयुक्त ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा तथा प्रदूषण नियंत्रण हम सभी के लिए आवश्यक है। जिलों को सर्वानुकूल बनाना एवं सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों तथा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित कराना जरूरी है। चूँकि मामला बच्चों की सुरक्षा से संबंधित है अतः हम सबको अतिरिक्त संवेदनशीलता प्रदर्शित करनी पड़ेगी। आयुक्त ने कहा कि विहित प्रावधानों के अनुसार विभिन्न स्तरों पर विद्यालय वाहन परिवहन अनुश्रवण समितियों की बैठक एवं कृत कार्रवाई की प्रमंडल स्तर पर नियमित समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में समय-समय पर जाँच अभियान चलाया जाए तथा चेकलिस्ट के अनुसार वाहनों की जाँच की जाए। उल्लंघन पाए जाने पर दोषियों के विरूद्ध विधि-सम्मत कार्रवाई करें। आयुक्त ने कहा कि विद्यालय वाहनों के लिए निर्धारित पाँच मूलभूत मानदंडों- परमिट, स्पीड गवर्नर, बीमा, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल तथा फिटनेस- का अनुपालन सुनिश्चित की जाए। सभी विद्यालय परिवेशीय पर्यावरण की सुरक्षा हेतु विद्यालय के नियंत्रण के अधीन चलाये जा रहे (विद्यालय के नाम पर पंजीकृत अथवा लीज पर अथवा निजी ऑपरेटरों से समझौते के तहत परिचालित) सीएनजी चालित वाहनों अथवा इलेक्ट्रिक चालित वाहनों में यथासंभव सम्परिवर्तन अथवा प्रतिस्थापन हेतु कदम उठाएंगे।
प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि विद्यालय वाहन परिचालन विनियमन के उल्लंघन की स्थिति में विद्यालय प्रबंधन, वाहन स्वामी, वाहन चालक एवं परिचर के विरूद्ध अर्थदंड लगाने का भी प्रावधान है। चालक, वाहन स्वामी एवं विद्यालय प्रबंधन के विरूद्ध अलग-अलग अधिकतम एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया जा सकता है। उल्लंघन की पुनरावृति पर वाहन चालक की अनुज्ञप्ति रद्द कर अयोग्य घोषित करने एवं वाहन स्वामी का परमिट रद्द करने की कार्रवाई की जा सकती है। विद्यालय प्रबंधन के विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है।
आयुक्त ने कहा कि सभी स्टेकहोल्डर्स बच्चों की सुरक्षा के प्रति दृढ़-संकल्पित रहें।
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