लोक पंच द्वारा विगत 8 वर्षों से बिहार के विभिन्न जिलों के ग्रामों में नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है,

लोक पंच द्वारा विगत 8 वर्षों से बिहार के विभिन्न जिलों के ग्रामों में नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है,

सांस्कृतिक संस्था लोक पंच द्वारा दिनांक 09 – 12 अक्टूबर, 2024 को प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से ग्राम + पो० – बेलाव, थाना- बरबीघा, जिला - शेखपुरा में 4 दिवसीय दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव का आयोजन हो रहा है। जहाँ शहरी क्षेत्र की अन्य संस्थाएं केवल शहर में ही नाटकों का प्रदर्शन करती हैं, वही लोक पंच द्वारा विगत 8 वर्षों से बिहार के विभिन्न जिलों के ग्रामों में नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, ताकि नाट्यकला उन जगहों तक पहुच सके, जहाँ के लोग इससे परिचित नहीं है।  
आज महोत्सव के तीसरे दिन दिनांक 11 अक्टूबर, 2024 को प्रयत्नम द्वारा गौरव कुमार निर्देशित नाटक "देवासुर संग्राम" की प्रस्तुति की गयी।
इस नाटक में करंभसुर और रम्भासुर नाम का पात्र असुर होता है, ये दोनो ब्रम्भा जी को तपस्या कर के खुस करना चाहता है, पर देवराज इंद्र इन दोनो को तपस्या करते ही मार देते हैं, ये सोचकर की इसके तपस्या से खुश होकर भगवान ने अगर इसे वरदान दे दिया तो कल यह देवताओं का दुश्मन बन जाएगा और देवगन मुश्किल में पड़ जाएंगे।
इस असुर कुल में एक कुलवधू रहती है महिषी नाम की जो भगवान को बहुत पूजा करती है, इंद्र उसके इष्ट देव होते हैं और वही उसके पति कर्मबासुर का हत्या कर देते हैं। जब अपने पति का कटा हुआ सिर देखती है तो बिलखने लगती है, और बोलती है कि मुझे भी इनके साथ सती हो जाना है, वह इंद्र को श्राप देती है कि जिस तरह से आज मैं वेदना भोग रही हूं उसी तरह से एक दिन तुम भी भोगोगे। फिर वो चिता पर बैठ जाती है। उसको एक वरदान रहता है अग्नि देव से कि तुम्हारा पुत्र अग्नि में कभी नहीं जलेगा। जब वह चिता पर बैठी है इस समय वह अपने तपस्या के बल से अग्नि में भस्म हो जाती है और उसी अग्नि से पुत्र को जन्म देती है वो पुत्र महिषासुर के रूप में पैदा होता है। बाद में वह देवताओं से बदला लेता है और सभी देवताओं को बंदी बना लेता है। 
अंत में मां दुर्गा महिषासुर का संघार करती है और देवताओं को मुक्त करवाती है।
*पात्र परिचय*
कर्मभासुर  : दीपक पाण्डेय
राम्भासुर    : अंकित कुमार
प्रलंभासुर   : राकेश राज
महिषासुर   : मंटू कुमार 
रक्तासुर      : नीरज पाण्डेय 
चिक्षुर         : महेंद्र साव 
कराल         : सुधीर राम
ब्रह्म            : सुधाकर पांडेय
इंद्र             : विजय रजक
कार्तिकेय    : राजू मंडल
वृहस्पति      : सतीश प्रसाद
महिषी         : सिकंदर रजक
*मंच परे*
प्रकाश : राम प्रवेश 
संगीत  : अभिषेक 
हारमोनियम : राजू मिश्रा
नाल  : राम अयोध्या 
नगाड़ा : मुन्ना यादव
प्रस्तुति नियंत्रक : नीरज शुक्ला 
लेखक :  बी. पी राजेश
निर्देशक  : कुमार गौरव

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