जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के द्वारा धान परती भूमि प्रबंधन एवं किसानों का सशक्तिकरण

जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के द्वारा धान परती भूमि प्रबंधन एवं किसानों का सशक्तिकरण

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के निदेशक डॉ. अनुप दास (प्रोजेक्ट लीडर), डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक-सह-प्रधान अन्वेषक एवं टीम के अन्य सदस्यों के तत्वाधान में चलाई जा रही परियोजना जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के द्वारा धान परती भूमि प्रबंधन के अंतर्गत संस्थान से वैज्ञानिकों की टीम द्वारा दिनांक 03 सितम्बर 2024 को गया जिले के टेकारी प्रखंड के गुलेरियाचक ग्राम में 50 एकड़ भूखंड पर कम अवधि की धान की सीधी बुवाई एवं 25 एकड़ में अरहर की प्रजाति का प्रत्यक्षण कार्यक्रम एवं किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया एवं कृषि कार्य में उपयोग होने वाले 0.5 HP के मोनोब्लॉक पंप को अनुसूचित जाति के किसानों बीच वितरण किया गया।
डॉ. बिकास सरकार, प्रधान वैज्ञानिक ने विभिन्न कृषि उपकरणों के उपयोग एवं  रखरखाव के बारे में जानकारी दी | बैठक में संस्थान के डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कम अवधि की सीधी बुवाई धान (स्वर्ण श्रेया) एवं अरहर की प्रजाति आपीए -203 के बारे में विस्तृत जानकारी दी | उन्होंने किसानों को कम अवधि की सीधी बुवाई धान एवं मेड़ पर अरहर लगाने की उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी दी | डॉ. प्रेम कुमार सुंदरम, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कृषि कार्य में उपयोग होने वाले मशीनों के बारे में जानकारी दी | डॉ. पवन जीत, वैज्ञानिक द्वारा कृषि ड्रोन का प्रत्यक्षण किया गया तथा किसानों को उसके तकनीकी उपयोग एवं इसके प्रशिक्षण के बारे में जानकारी दी | डॉ. देवेन्द्र मंडल, सहायक प्रोफ़ेसर-सह-कनिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय, किशनगंज ने धान में खरपतवार नियंत्रण के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई | एवं श्री मनोज कुमार सिन्हा, वरिष्ठ तकनीकी सहायक ने किसानों को ड्रोन के बारे में तकनीकी जानकारी दी| इस बैठक में किसान श्री आशीष कुमार ने किसानों को भूमि प्रबंधन के बारे में बताया | वैज्ञानिकों की टीम ने प्रक्षेत्र भ्रमण किया एवं किसानों के साथ संवाद भी किया | इस बैठक मे किसान दिनेश चंद, पुनित बिद एवं लगभग 80 किसानों ने भाग लिया । प्रगतिशील किसान श्री आशीष कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ | इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कृषि विज्ञान केंद्र, गया का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा |

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