बढ़ते हुए ‘रोबोट युग’ से बढ़ रही है ‘रोज़गार’ की चुनौती ~ सैय्यद दानिश

बढ़ते हुए ‘रोबोट युग’ से बढ़ रही है ‘रोज़गार’ की चुनौती ~ सैय्यद दानिश

जैसे जैसे दुनियाँ में रोबोट बढ़ते जा रहे हैं, वैसे वैसे भारत सहित दुनियाँ के अधिक जनसंख्या वाले विकासशील देशों में रोज़गार की चिंता बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में दुनियां भर के लोगों द्वारा विख्यात लेखक मार्टिन फोर्ड की किताब ‘रोबोट्स का उदय : टैक्नोलॉजी और रोजगार विहीन भविष्य के खतरे’ को बड़ी गंभीरता के साथ पढ़ा जा रहा है। इस किताब में माॢटन फोर्ड ने कहा है कि टैक्नोलॉजी के प्रतीक रोबोट आगे जाकर सामान्य तरह के रोजगार हथिया लेंगे। स्थिति यह है कि रोबोट के कारण 21वीं सदी में वैश्वीकरण और यंत्रीकरण के विस्तार के साथ शताब्दियों से चली आ रही मनुष्य की बल और बुद्धि की श्रेष्ठता खत्म हो जाने का खतरा मंडराने लगा है। दुनियां की अर्थव्यवस्था में रोबोट की अहमियत कितनी बढ़ गई है, इसका अंदाजा अमरीका के बोस्टन कंसल्टिन ग्रुप की रिपोर्ट 2019 से लगाया जा सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार रोबोट का वैश्विक बाजार छलांगें लगाकर बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2010 में दुनियां में रोबोट का बाजार करीब 15 अरब डॉलर मूल्य का था। यह 2020 में करीब 43 अरब डॉलर का हो गया है और अनुमान है कि 2025 तक 67 अरब डॉलर का हो जाएगा। इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा कार्यरत रोबोट जिन देशों के पास हैं उनमें चीन, जापान, अमरीका, दक्षिण कोरिया तथा जर्मनी प्रमुख हैं। दुनिया में विभिन्न प्रकार के रोबोटों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सामान्यतया रोबोट दो तरह के होते हैं- इंडस्ट्रियल रोबोट और सर्विस रोबोट। इंडस्ट्रियल रोबोट औद्योगिक एवं कारोबार इकाइयों में काम करते हैं, जबकि सर्विस रोबोट सर्विस से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं। सर्विस रोबोट के तहत प्रोफैशनल्स रोबोट, डोमैस्टिक सर्विस रोबोट, एंटरटेनमैंट रोबोट शामिल होते हैं। हमारे देश में रोबोटों की संख्या के मद्देनजर इंटरनैशनल फैडरेशन ऑफ रोबोटिक्स 2019 की रिपोर्ट उल्लेखनीय है। इसके मुताबिक भारत में 2018 में करीब 23 हजार इंडस्ट्रियल रोबोट कार्यरत थे। पूरी दुनिया में इंडस्ट्रियल रोबोट्स के मामले में भारत 11वें स्थान पर है। भारत में वर्ष 2018 में करीब 4771 नए इंडस्ट्रियल रोबोट लगाए गए थे। जहां एक ओर रोबोट वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हो जाएंगे और जिन देशों में कार्यशील युवाओं की कमी है उन देशों में रोबोट अत्यधिक लाभप्रद होंगे। लेकिन वहीं दूसरी ओर जिन देशों में आबादी अधिक है और कार्यशील युवाओं की अधिकता है, उन देशों में रोबोट के बढ़ने से रोजगार व नौकरियां जाने की चिंताएं बढ़ेंगी। आर्थिक मामलों में शोध करने वाली दुनिया की प्रसिद्ध फर्म ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2030 तक रोबोट 2 करोड़ लोगों की नौकरियां छीन सकते हैं। रोबोट के बढ़ने से डाटा एंट्री क्लर्क, फैक्टरी मजदूर, बिजनैस सर्विस एंड एडमिनिस्ट्रेशन मैनेजर, अकाऊंटैंट, जनरल आप्रेशन मैनेजर, स्टॉक कीपिंग क्लर्क, डाक सेवा क्लर्क, वित्तीय समीक्षक, कैशियर व टिकट क्लर्क, मैकेनिक, बिजली व टैलीकॉम रिपेयर सेवा, बैंक क्लर्क, कार, वैन और मोटरसाइकिल चालक, एजैंट व ब्रोकर, घर-घर सामान बेचने का काम, वकील, बीमा क्लर्क और वैंडर सर्विस जैसे सैक्टर में नौकरियां कम होंगी।

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