डीएम द्वारा लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के 29 मामलों की सुनवाई की गई

डीएम द्वारा लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के 29 मामलों की सुनवाई की गई

कार्यों में लापरवाही तथा लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं संवेदनहीनता के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध 5,000/-रूपया का अर्थदंड लगाते हुए स्पष्टीकरण किया गया
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बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम
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पटना, शुक्रवार, दिनांक 06 सितम्बर, 2024ः जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में तथा बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 के तहत प्रथम अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध 5,000/-रूपया का अर्थदंड लगाते हुए स्पष्टीकरण किया गया। 
  
डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के कुल 29 मामलों की सुनवाई की गई। 18 मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा 11 मामलों में अंतरिम आदेश पारित किया गया। कार्यों में लापरवाही तथा जनहित के मामलों में संवेदनहीनता के आरोप में एक लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, नौबतपुर विरूद्ध 5,000/-रूपया का अर्थदंड लगाते हुए स्पष्टीकरण किया गया। 
दरअसल अपीलार्थी श्री राम सदन सिंह पता-रामजीचक, बाटागंज, अंचल-दानापुर, अनुमंडल-दानापुऱ, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत नौबतपुर अंचल के पंजी-2 से श्री आनंद कुमार के पिता का नाम सुधारने केे संबंध में है। परिवादी का कहना है कि नौबतपुर अंचल के रौनिया ग्राम निवासी श्री आनंद कुमार वस्तुतः श्री सुंदर सिंह के पुत्र हैं परन्तु इन्होंने अपने चाचा श्री कैलाशपति सिंह के पुत्र के रूप में अपना नाम अंकित कराकर जालसाजी किया है। अपीलार्थी के अनुसार श्री कैलाशपति सिंह का कोई पुत्र नहीं था। जिला प्रशासन एवं अन्य कार्यालयों के विभिन्न जाँच प्रतिवेदनों में भी यह स्पष्ट हुआ है कि श्री आनंद कुमार के पिता का नाम श्री सुंदर सिंह ही है। अंचलाधिकारी, नौबतपुर द्वारा सत्यापित तथ्यों के बावजूद पंजी-2 में श्री आनंद कुमार के पिता का नाम सुधारा नहीं जा रहा है। अंचलाधिकारी का कहना था कि श्री आनंद कुमार एक सरकारी कर्मी हैं जो सेवानिवृत हो चुके हैं। सभी सरकारी दस्तावेजों में उनके पिता का नाम श्री कैलाशपति सिंह ही दर्ज है। श्री कैलाशपति सिंह द्वारा आनंद कुमार को पोशपुत्र के रूप में मौखिक रूप से गोद लिया गया था। जिलाधिकारी ने कहा कि दस्तावेजों से पता चलता है कि गोद लेने का कोई विधिक प्रमाण-पत्र उपलब्ध नहीं है। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत श्री कैलाशपति सिंह की संपत्ति पर उनकी पुत्रियों का हक है। अनुमंडल पदाधिकारी, दानापुर एवं अपर समाहर्ता, पटना के पूर्व के प्रतिवेदनों में भी यह स्पष्ट प्रतिवेदित किया गया है कि श्री आनंद कुमार के पिता का नाम श्री सुंदर सिंह है। जिलाधिकारी ने कहा कि सारे दस्तावेजों, प्रतिवेदनों तथा पूर्व के आदेश के बावजूद अंचल अधिकारी, नौबतपुर द्वारा पंजी-2 में पिता का नाम संशोधन नहीं किया जाना आपत्तिजनक है। उनका प्रतिवेदन भी अस्पष्ट एवं असंतोषजनक है। जिलाधिकारी ने कहा कि परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, दानापुर के समक्ष दिनांक 23.12.2023 को ही परिवाद दायर किया गया था। आठ महीना से अधिक की अवधि में भी अंचल अधिकारी द्वारा परिवाद के निवारण हेतु कोई सकारात्मक, सार्थक एवं ईमानदार प्रयास नहीं किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कियह अत्यंत खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने दिनों में भी समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। अस्पष्ट एवं असंतोषजनक प्रतिवेदन देने, आदेश का अनुपालन नहीं करने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, नौबतपुर के विरूद्ध 5,000/-रूपया का अर्थदंड लगाते हुए उनसे कारण-पृच्छा की गई। साथ ही उन्हें निदेशित किया गया कि सुनवाई की अगली तिथि 04 अक्टूबर, 2024 से पूर्व नाम में सुधार हेतु अपर समाहर्ता को प्रतिवेदन भेजें। अपर समाहर्ता नियमानुसार शिकायत के निवारण हेतु कार्य करेंगे। अंचल अधिकारी, नौबतपुर एवं अपर समाहर्ता को कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि को उपस्थित रहने का निदेश दिया गया। 

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों एवं सेवा शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।

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