*पारस एचएमआरआई ने बाइक दुर्घटना के बाद कौमा में जा चुके दो वर्षीय बच्चे की बचाई जान*
पटना । बाइक दुर्घटना के बाद कौमा में जा चुके मुजफ्फरपुर के दो वर्षीय आरव कुमार को पारस एचएमआरआई के विभिन्न विभागों की टीम ने सफल इलाज कर मौत के मुंह से निकाल लिया। आरव अपने घर के बाहर खेलने के दौरान तेज रफ्तार बाइक से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसके बाद वह कौमा में चला गया। आरव की स्थिति गंभीर होने के बाद उसे पटना स्थित पारस एचएमआरआई रेफर किया गया। पारस एचएमआरआई में पहुंचते ही उसे तुरंत इमरजेंसी में शिफ्ट किया गया। बच्चे का इलाज तुरंत शुरू कर दिया गया। बच्चे की स्थिति गंभीर होने की वजह से उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। आरव के सिर में काफी गंभीर चोट आई थी। जिसका डाक्टरों ने इलाज शुरू किया। इलाज के दौरान बच्चे का ट्रेकियोस्टोमी किया गया जिससे एस्पिरेशन न्यूमोनिया से सुधार होने में और भेंटीलेटर से बाहर करने में काफी मदद मिली। पारस एचएमआरआई के विभिन्न विभागों के डाक्टरों के सम्मिलित प्रयास से आरव को बचा लिया गया। 10 दिनों के इलाज के बाद आरव पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर चला गया।
आरव के इलाज करने वाली टीम में डायरेक्टर न्यूरोसर्जरी डा. अंबुज कुमार और न्यूरो सर्जन डा.मारूति नंदन, क्रिटिकल केयर के डा.शहजादा, ईएनटी विभाग से डा.अभिनीत लाल, एनेस्थेसिया से डा.श्री नारायण, पेडियेट्रिसियन डा. राजीव रंजन, आकस्मिक विभाग के डा.चंदन किशोर और सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डा.अरविंद गोयल शामिल थे। इलाज के दौरान नर्सिंग स्टाफ ने भी सक्रियता दिखाई।
पारस एचएमआरआई के *फैसिलिटी डायरेक्टर अनिल कुमार* ने सभी चिकित्सकों को बधाई दी और कहा कि हमारा पहला उद्देश्य है कि गंभीर रोग के इलाज के लिए भी राज्य के लोगों को दूसरे राज्य में ना जाना पड़े। पारस एचएमआरआई प्रबंधन के पास हर वह तकनीक एंव विशेषज्ञ डॉक्टरों की पूरी टीम उपलब्ध है जिसकी मदद से गंभीर व क्रिटिकल केस का इलाज किया जा सकता है और लोग की जान बचाई जा सकती है। पारस एचएमआरआई इस दिशा में वर्षों से काम कर रहा है और यह अनवरत जारी रहेगा।
*पारस एचएमआरआई के बारे में*
पारस एचएमआरआई, पटना बिहार में 2013 से कार्यरत है। पारस इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर बिहार में अपनी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे और कैंसर देखभाल प्रदान करने के लिए जाना जाता है।
0 Response to "*पारस एचएमआरआई ने बाइक दुर्घटना के बाद कौमा में जा चुके दो वर्षीय बच्चे की बचाई जान*"
एक टिप्पणी भेजें