दलित व वंचित समाज को आगे लाने में लेखक साहित्यकारों की भूमिका अहम : संजय कुमार

दलित व वंचित समाज को आगे लाने में लेखक साहित्यकारों की भूमिका अहम : संजय कुमार

-जन लेखक संघ की विचार- गोष्ठी में सुनील प्रियबच्चन व सुधांशु चक्रवर्ती की पुस्तकों का लोकार्पण 

पटना.  स्थानीय खादी मॉल में जन लेखक संघ की बिहार की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में 
" वंचित समाज, साहित्य और लेखकीय दायित्व " विषय पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अधिकारी संजय कुमार ने कहा है कि दलित और वंचित समाज को आगे लाने में साहित्य और सृजनात्मक लेखन की मह्त्वपूर्ण भूमिका है. साथ ही  सकारात्मक लेखन के माध्यम से वंचित समाज की वास्तविक स्थिति को शब्दों में चिन्हित किया जा सकता है। 
उन्होंने कहा कि दूसरे वर्ग से आने वाले लेखकों ने भी दलितों को लेकर सकारात्मक लेखन का कार्य किया है, उनका भी आकलन बेहद जरूरी है

मुख्य अतिथि संघ के राष्ट्रीय महासचिव महेंद्र नारायण पंकज ने कहा कि जो दलित हैं, पीड़ित हैं, संत्रस्त हैं, ऐसे लोगों की साहित्य के माध्यम से हिमायत करना लेखक - साहित्यकारों का नैतिक दायित्व है और उन्हें अपनी जिम्मेदारी पूरी  ईमानदारी से निभाने की जरूरत है. 
अध्यक्षता करते हुए जन लेखक संघ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि कभी -कभी लेखक - साहित्यकार समाज के शोषित वर्ग के इतना करीब होता है कि उसके कष्टों को वह स्वयं भी अनुभव करने लगता है। वस्तुत : साहित्य समाज की उन्नति और विकास की आधारशिला रखता है।  
रचनाकारों ने व्यक्तिगत हानि उठाकर भी कुरीतियों और जड़ मान्यताओं के खिलाफ जाकर समाज के निर्माण के लिए जरुरी कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि जन लेखक संघ शीघ्र ही अच्छी पुस्तकों और पत्रिकाओं के नियमित प्रकाशन की योजना पर काम शुरू करेगा. 

इस अवसर पर उपाध्यक्ष डॉ लीना एवं डॉ सुनील कुमार प्रियबच्चन  सचिव सुधांशु कुमार चक्रवर्ती, संयुक्त सचिव
अनिल रश्मि एवं श्रीकांत व्यास कार्यकारिणी सदस्य डॉ अनुजा और विशेष आमंत्रित सदस्य. उदयन राय ने भी अपने विचार व्यक्त किए. 

इससे पूर्व अतिथियों ने सुनील कुमार प्रियबच्चन की पुस्तक हिन्दी उपन्यास : विकास व लेखन प्रवृतियों एवं सुधांशु कुमार चक्रवर्ती की पुस्तक राजनीतिशाला का लोकार्पण किया.

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