*ए दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो, शामें गम की कसम आज ग़मगीन हैं हर जैसे नज्मों ने श्रोताओं का मन मोहा*

*ए दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो, शामें गम की कसम आज ग़मगीन हैं हर जैसे नज्मों ने श्रोताओं का मन मोहा*

 
पटना 29 जून 2024
 कला संस्कृति एवं युवा विभाग, भारतीय नृत्य कला मंदिर और बिहार संग्रहालय द्वारा शहंशाह-ए-गजल तलत महमूद की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस दो दिवसीय कार्यक्रम “एक शाम लखनवी नबाव के मौसिकी के नाम” का आयोजन बिहार संग्रहालय के ओरियंटेशन हॉल में किया गया। कार्यक्रम  में रेरा के अध्यक्ष श्री विवेक कुमार,  कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती हरजोत कौर, निदेशक संस्कृति श्रीमती रूबीम, भारतीय नृत्य कला मंदिर की प्रशासी पदाधिकारी श्रीमती अमृता प्रीतम सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम तलत महमूद की 100वीं जयंती के अवसर पर किया जा रहा है। तलत महमूद के नज्मों को  मुंबई के प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन और गायक  डॉ. मुकुंद जगन्नाथन ने गाए. कार्यक्रम के दौरान श्री कमल मलहोत्रा ने तलत  महमूद के जीवन से जुड़ी अनसुने किस्सों को दर्शकों के साथ साझा किया। ग़ज़ल गायकी में अगर अहम गुलूकारों की फ़ेहरिस्त बनाई जाए तो उसमें ‛‛तलत महमूद’’ साहब का नाम भी ज़रूर आएगा। उन्हें शहंशाह-ए-ग़ज़ल भी कहा जाता है। उन्होंने ग़ज़ल गायकी को आसान बनाया। उन्होंने लफ़्ज़ों को इतनी नरमी दे दी कि मानो जैसे वो फूल हों।

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