*संयुक्त किसान मोर्चा चौसा में किसानों के खिलाफ हिंसक दमन के विरोध में 26 जून को दमन-विरोधी दिवस के रुप में मनाएगा | पटना के गांधी मैदान से मुख्यमंत्री आवास तक प्रतिरोध मार्च का आह्वान*

*संयुक्त किसान मोर्चा चौसा में किसानों के खिलाफ हिंसक दमन के विरोध में 26 जून को दमन-विरोधी दिवस के रुप में मनाएगा | पटना के गांधी मैदान से मुख्यमंत्री आवास तक प्रतिरोध मार्च का आह्वान*


  जून 2024 | पटना, बिहार


*संयुक्त किसान मोर्चा चौसा में किसानों के खिलाफ हिंसक दमन में शामिल पुलिस और प्रशासन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई, मामले की न्यायिक जांच, और किसानों को उनका जायज हक देने की मांग करता है*


आज पटना के श्रीकृष्ण नगर स्थित शाकुन्तलम में, संयुक्त किसान मोर्चा, बिहार की राज्यस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक का एजेंडा बक्सर जिला के चौसा प्रखंड में किसानों पर हुए पुलिसिया दमन और जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा की कार्रवाई पर विमर्श था। बैठक की अध्यक्षता विजय कुमार चौधरी ने की।


बक्सर जिला के चौसा प्रखंड में सतलुज जल विद्युत निगम के 1320 मेगावाट के कोयला बिजली संयंत्र का शिलान्यास 9 मार्च 2019 को किया गया था। 11,000 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे की इस परियोजना के लिए राज्य सरकार ने किसानों से 1064 एकड़ भूमि अधिग्रहण किया। हालांकि, इस प्रक्रिया में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार कानून, 2013 का कहीं पालन नहीं किया गया। इस कानून के मुताबिक भूमि अधिग्रहण के बदले ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार मूल्य का चार गुना मुआवजा, 80 प्रतिशत विस्थापित लोगों की सहमति, एवं पुनर्वास और पुनर्स्थापन, सहित अन्य प्रावधान शामिल है। इसके अलावा रेल कॉरिडर और वॉटर पाइपलाइन परियोजना के लिए 250 एकड़ भूमि अधिग्रहण की जानी है। किसानों के मुताबिक इसके लिए बिना उनकी सहमति के जमीन अधिग्रहित की जा रही है। मुआवजा, रोजगार, पुनर्वास और पुनर्स्थापन के अधिकार के लिए 17 अक्टूबर 2022 से किसानों का लोकतांत्रिक जन आंदोलन चल जारी है। 


20 मार्च 2024 को एक क्रूर दमन की कार्रवाई में पुलिस और प्रशासन ने बक्सर जिला के चौसा प्रखंड के तीन गांव — बनारपुर, मोहनपुड़ा, कोचाढ़ी — में संध्या पांच बजे घरों में घुस कर महिलाओं, बच्चों, और बुजुर्गों सहित अन्य किसानों के साथ बेरहमी से मार पीट की। छोटे छोटे बच्चे से लेकर अस्सी वर्ष के महिला बुजुर्ग तक के हाथ पांव तोड़ डाले। घरों को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर भारी लूट पाट को अंजाम दिया गया। इस क्रूर और भीषण कार्रवाई में कई लोग गंभीर रूप से जख़्मी हुए। निर्दोष बच्चों और बुजुर्गों को भी बुरी तरह पीटा गया है। पुलिस ने घरों में घुसकर तोड़-फोड़ और गाली-गलौज की। मवेशियों (गायों,भैंस और कुत्ते तक को) को भी पीटा गया। इस हिंसक कार्रवाई के बाद 50 से अधिक किसानों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए, और 31 किसानों को गिरफ्तार किया गया।


संयुक्त किसान मोर्चा, बिहार की एक 7-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने हालात का जायजा लेने के लिए 5 अप्रैल 2024 को चौसा का दौरा किया। पूरे क्षेत्र में भय और आतंक का माहौल है। पुलिस की निरंतर छापेमारी जारी है। कई परिवार पलायन कर चुके है। इस कार्रवाई में मानवाधिकार का घोर उल्लंघन किया गया है। सरकार द्वारा आम नागरिकों के विरोध के अधिकार का हनन किया गया है। वहीं, किसानों को उनकी जायज मांगों और संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने के लिए राज शक्ति का प्रयोग किया गया है।


किसानों के खिलाफ हिंसक दमन के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा 26 जून को दमन-विरोधी दिवस के रुप में मनाएगा। इस दिन पटना के गांधी मैदान से मुख्यमंत्री आवास तक एक प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया जाएगा, और मुख्यमंत्री से मिलकर किसानों की मांग रखी जाएगी।


संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के खिलाफ हिंसक दमन में शामिल पुलिस और प्रशासन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई, मामले की न्यायिक जांच, और किसानों को उनका जायज हक देने की मांग करता है।


बैठक में अखिल भारतीय किसान महासभा से उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल, कृपानारायण सिंह, बिहार राज्य किसान सभा (जमाल रोड) से विनोद कुमार और सोना लाल प्रसाद, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा से नन्द किशोर सिंह, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन से इंद्रदेव राय, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा से रामबॄक्ष राम, रंजीत कुमार, और रामचंद्र सिंह, क्रांतिकारी किसान यूनियन से बिन्देश्वरी सिंह और मनोज कुमार, जय किसान आंदोलन से ऋषि आनंद, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय से उदयन राय, ऑल इंडिया किसान फेडेरेशन से विजय कुमार चौधरी और प्रमोद कुमार, बिहार किसान समिति से बलदेव झा और पुकार, सहित बिहार के प्रमुख किसान नेता उपस्थित रहे।


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