छ: साल से कम उम्र के बच्चे के हृदय का बंद वाल्व बिना सर्जरी के खोला गया - पारस एचएमआरआई
पटना।
छ: साल से कम उम्र के एक बच्चे का हृदय का एक वाल्व बंद हो गया था जिसे एओर्टिक वाल्व कहते हैं जिसके कारण बच्चा 6 महीने से बार बार बेहोश हो जाता था और चलने पर छाती में दर्द की शिकायत लेकर अररिया के रहने वाले उसके परिजन जब पारस एचएमआरआई पटना पहुंचे तो यहाँ जांच मे पता चला कि बच्चे के हृदय का एओर्टिक वाल्व लगभग पूरी तरह से बंद हो चुका है। उसका हृदय सुचारू रुप से काम नही कर रहा था जिसके कारण उसकी छाती में दर्द रहता था और वह बार-बार चक्कर खाकर बेहोश होजाता था । जिस के कारण वह स्कूल नही जा पाता था। पिछले छ: महिने में वह 8 -10 बार बेहोश हो चुका था। कंसल्टेंट कार्डियोलोजी डॉ. सिध्दनाथ सिंह ने बताया कि इस परिस्थित में वाल्व रिप्लेसमेंट करना संभव नही था क्योंकि बच्चा अभी बढ़ते अवस्था में है और वयस्क उम्र में वाल्व छोटा पड़ जाता जिसे वाल्व मिसमैच कहते हैं और फिर दोबारा वाल्व रिप्लेसमेंट करना पड़ता। इस परिस्थिती में बिना किसी चिर-फाड़ के बिना सर्जरी किए बलूनिंग करके पारस एचएमआरआई कि कार्डियोलोजी टीम ने वाल्व को खोला इस प्रक्रिया को बैलून एओर्टिक वाल्वोटाॅमी कहते हैं इस प्रक्रिया के बाद अगले दिन उसे छुट्टी दे दी गई।
डॉ. सिध्दनाथ सिंह ने बताया कि बलूनिग के तुरंत बाद बच्चे के वाल्व का रुकावट 70% कम हो गया और अब बच्चा काफी बेहतर है। डॉ. सिध्दनाथ सिंह ने बताया कि बड़ा होने पर अगर जरूरत पड़ी तो उसका वाल्व बदला जा सकता है और वाल्व मिसमैच की समस्या नही होगी। फिलहाल उसका वाल्व बदलने की जरूरत नही है। अब उसके छाती में दर्द भी नही है इस तरह पारस एचएमआरआई की कार्डियोलोजी टीम ने उसका सफल इलाज कर बचा लिया।
इस दौरान पारस एचएमआरआई के युनिट हेड डॉ. वैभव राज ने बताया कि बच्चे के परिजनों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। इसको देखते हुए पारस एचएमआरआई ने 50 प्रतिशत कम खर्च पर उसका इलाज किया। अब पारस एचएमआरआई में छोटे बच्चे के हृदय रोग से संबंधित जैसे वाल्व बंद होना या हृदय में छेद होना इत्यादि का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है।
पारस एचएमआरआई के बारे में
पारस एचएमआरआई, पटना बिहार में 2013 से कार्यरत है। पारस एचएमआरआई में एक ही स्थान पर सभी चिकित्सा सुविधाएं हैं। हमारे पास एक आपातकालीन सुविधा, तृतीयक और चतुर्धातुक देखभाल, उच्च योग्य और अनुभवी डॉक्टरों के साथ चिकित्सा केंद्र है। पारस इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर बिहार में अपनी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे और कैंसर देखभाल प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है।
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