*जश्न-ए-बिहार के तहत सांस्कृतिक महोत्सव “कल्चरल कारवां” का हुआ समापन*

*जश्न-ए-बिहार के तहत सांस्कृतिक महोत्सव “कल्चरल कारवां” का हुआ समापन*


6 अप्रैल 2024

कला संस्कृति एवं युवा विभाग के द्वारा जश्न ए बिहार के तहत जश्न ए अदब के सहयोग से आयोजित कल्चरल कारवां के दूसरे दिन आज कार्यक्रम की शुरुआत बैतबाजी से हुई। यह शायरी के मुकाबले की अंताक्षरी की तरह की  एक विधा है जिसमें एक टीम को दूसरे टीम के शेर के आखिरी शब्दसे दूसरा शेर पढ़ते हैं। आज की बैतबाज़ी में तीन टीमें यगाना चंगेजी,  कलीम आजिज़ी और जमील मज़हबी ने हिस्सा लिए जिसमें जमील मज़हबी टीम विजेता हुई।

पदम श्री गुलफाम अहमद खान ने रवाब के  वादन की शुरुआत राग भैरवी से किया।  उसके बाद अपनी प्रस्तुति में उन्होंने एक फारसी नज़्म को रबाब के माध्यम से पेश किया। भक्ति और श्रृंगार रस के इस नज़्म का अर्थ था कि मुझे ऐसी नजरों से पिलाओ की  मैं मदहोश हो जाऊं।  “खुसरो निजाम के अंगना जाए  मौला अली को कैसे मनाए सखी,  आओ सखि गाओ सखी, “मस्त कलंदर गाता जाएं, मौला तेरी शान, तू ही दिल में तू ही लब पर तू ही चारो धाम” जैसे गीतों गायन के साथ ही रबाब के वादन ने श्रोताओं को खूब झुमाया।

कार्यक्रम में आगे   'आज के दौर का सिनेमा ओटीटी  की शक्ल में' पर पंचायत वेब सीरीज सीरीज फेम अभिनेता फैजल मल्लिक के साथ अनस फैज़ी ने बातचीत की। फैजल मल्लिक ने कहा कि हमारे ओटीटी के कंटेंट हॉलीवुड के कंटेंट को टक्कर दे रहे हैं। ओटीटी सीरीज बनाना फिल्म बनाने से ज्यादा मुश्किल है। अगर आप 8 एपिसोड बना रहे हैं तो आप 8 अलग अलग फिल्मे बना रहे हैं। क्योंकि अगर आपके दर्शक को कंटेंट अच्छा नहीं लगा तो वो एक एपिसोड को 10 मिनट के बाद छोड़ देगा ऐसे में दर्शकों को बांधे रखने के लिए कंटेंट का अच्छा होना महत्वपूर्ण है। अपने बारे में बताते हुए फैजल मल्लिक ने कहा कि मेरी शुरुआत गैंग ऑफ वाशेपुर से हुई। दर्शकों ने पंचायत के अगले सीरीज के आने  के बारे में उनसे पूछा जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जल्द ही दर्शकों के बीच पंचयत के नए सीजन उपलब्ध होंगे।

मशहूर गज़ल गायक चंदन दास द्वारा महफिल ए गजल की शुरुआत इसरार  अंसारी की गजल "दिल ने खवाइश तो की बहकने की, किसी तरह  दिल को मना लिया मैने,सबको दुश्मन बना लिया हमने," से की। इसके बाद उन्होंने डॉ बशीर बद्र की नज़्म " कहीं चांद राह में खो गया कहीं चांदनी भी भटक गई" के साथ ही “न जी भर के देखा न कुछ बात की, बड़ी आरजू थी, मुलाकात की,” कुछ इस तरह से इश्क कीजिये, आज रात को देखा सखि जैसे ग़ज़लों से शमां बांध दिया। कार्यक्रम के अंत में  भोपाल के राजीव सिंह एवं समूह द्वारा सूफी गायन की प्रस्तुति की जिसमे आदमी और "मैं नाची ऐसे आज की घुँघरू टूट गए" ,गीत प्रस्तुत किया। *कार्यक्रम के अंत में कला संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव, श्रीमती हरजोत कौर, डीजी विजिलेंस श्री आलोक राज, निदेशक, संस्कृति निदेशालय, श्रीमती रूबी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने सभी कलाकारों को अंग वस्त्र एवं प्रतिक चिह्न देकर सम्मानित किया । कार्यक्रम में शहर के रंगकर्मी, कलाकारों सहित लगभग 400 लोग उपस्थित रहे*


एडिटर इन चीफ ✍️

मंजर सुलेमान 7004538014

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