देश की जनता खोखले नारे और फौलादी इरादे का फर्क जान चुकी है- उमेश सिंह कुशवाहा

देश की जनता खोखले नारे और फौलादी इरादे का फर्क जान चुकी है- उमेश सिंह कुशवाहा


15 अप्रैल 2024


      सोमवार को झंझारपुर लोकसभा के एनडीए उम्मीदवार श्री रामप्रित मंडल के नामांकन समारोह को संबोधित करते हुए बिहार जद(यू0) के मा0 प्रदेश अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि झंझारपुर का इतिहास गवाह है कि यहाँ के लोग सामाजिक और राजनीतिक न्याय में यकीन रखते हैं, इसलिए मेरा मानना है कि यहाँ की महान जनता को मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का ‘‘न्याय के साथ विकास’’ और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का ‘‘सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’’ को बखूबी समझते हैं।


     प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के 18 वर्षों के कार्यकाल में झंझारपुर समेत सम्पूर्ण बिहार ने विकास के सुनहरे दौर को देखा है तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी आत्मनिर्भर और विकसित भारत का स्वप्न साकार करने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए को 400 पार का लक्ष्य हासिल करना है और उस लक्ष्य में बिहार का योगदान सभी 40 लोकसभा सीटों का होगा। 2019 में एक सीट की कसर रह गई थी, इस बार वो भी पूरी हो जाएगी।


      प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 2024 का चुनाव देश और दुनिया को ये संदेश देने का काम करेगा कि अब हम खोखले नारे और फौलादी इरादे का फर्क जान चुके हैं। हम हर उस रुकावट को जड़ से उखाड़ फेकेंगे जो हमारे राज्य और देश की तरक्की के रास्ते में आएगी। उन्होंने कहा कि श्री रामप्रीत मंडल ने सांसद के रूप में ये हमेशा सहज रूप से उपलब्ध रहकर आमलोगों के दुख-दर्द को बांटते रहे हैं। इनकी निष्ठा और सेवाभाव पर शायद ही किसी को कोई संदेह हो। इन्होंने लगातार क्षेत्र की सेवा की है इसीलिए हमें यकीन है कि इस बार भी रिकाॅर्ड मतों से विजयी बनेंगे।


     उन्होंने कहा कि 2005 से पहले का बिहार कैसा था और आज का बिहार कैसा है। बिहार में एक ओर वे हैं जिन्हें केवल अपने परिवार की चिन्ता है। दूसरी ओर श्री नीतीश कुमार के लिए पूरा बिहार और श्री नरेन्द्र मोदी के लिए पूरा देश ही उनका परिवार है और सेवा ही इनके जीवन का पर्याय है। बिहार में जाति, वर्ग, धर्म, लिंग और क्षेत्र के भेदभाव के बिना विकास के कार्य हो रहे हैं। आधी आबादी के लिए बिहार में जो कार्य हुए, उसका देश और दुनिया में कोई मुकाबला नहीं। बिहार में जातिगत गणना कराना और उसके आंकड़ों के अनुरूप आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75ः करना: यह असाधारण काम है।





                            

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