*जब तक अल्पसंख्यकों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, संघर्ष जारी रहेगा: नजरे आलम*

*जब तक अल्पसंख्यकों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, संघर्ष जारी रहेगा: नजरे आलम*

   

*जल्द ही राजधानी पटना में एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जायेगा*


पटना (प्रेस विज्ञप्ति) बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक उठापटक शुरू हो गयी है। राजनीतिक दल और उनके नेता भी जोड़-तोड़ में लग गये हैं। ऐसे में 18 फीसदी मुस्लिम आबादी का क्या होगा? उन्हें उचित प्रतिनिधित्व कब मिलेगा? इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और दे भी क्यों? मुसलमानों के प्रतिनिधित्व से उनको क्या मतलब है? जब मुसलमान स्वयं जागरूक नहीं हैं और उन्हें अपने राजनीतिक नेतृत्व की चिंता नहीं है तो दूसरों को उनकी समस्याओं में दिलचस्पी क्यों होनी चाहिए। उक्त बातें ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवां के राष्ट्रीय अध्यक्ष नज़रे आलम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। उन्होंने कहा कि ये सेक्युलर पार्टियां चुनाव के दौरान मुसलमानों को सब्जबाग दिखाती हैं और मुसलमान भी इन पार्टियों के जाल में फंस जाते हैं, इतना ही नहीं मुसलमान इन पार्टियों के नेताओं के झूठे और खोखले वादों को स्वीकार कर उतावले भी हो जाते हैं। नतीजा यह होता है कि चुनाव के बाद वे फिर वहीं रह जाते हैं जहां थे। उन्होंने कहा कि असल में हम उन राजनीतिक दलों से ज्यादा खुद दोषी हैं जिन्हें अपने राजनीतिक नेतृत्व की चिंता नहीं है। एक कप चाय और एक चुटकी तम्बाकू पर बिकने वाले लोग जब मुसलमानों के नेता बनते फिरेंगे तो फिर इस समुदाय का पतन ही होगा। हालात बदल गए हैं, देश का नक्शा और संविधान बदलने की तैयारी शुरू हो गई है, लेकिन दुर्भाग्य है हमारे ख़यालात नहीं बदले, हमारी सोच नहीं बदली, डॉ. मुहम्मद शहाबुद्दीन, आजम खान और मुसलमानों की समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं को चुनाव के मौके पर सेक्युलर आंसू बहाने वालों ने अपनी साजिश का शिकार बना लिया और आज भी वे किसी मुस्लिम नेताओं को पनपने से पहले पर कतरने के इंतजार में रहते हैं। ऐसे में हमें होश में आना होगा और संकल्प लेना होगा कि पूर्व सांसद और अल्पसंख्यकों के सच्चे हितैषी मरहूम मुहम्मद शहाबुद्दीन साहब और 18 फीसदी आबादी को जबतक उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, संघर्ष जारी रहेगा। हम अपने राजनीतिक नेतृत्व को मजबूत करने का संकल्प लेंगे। नज़रे आलम ने कहा कि सेक्युलर पार्टियाँ अगर जनसंख्या के अनुपात में मुसलमानों को राजनीति हिस्सेदारी नहीं देती है या किसी भी राजनीतिक दल में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता है तो जल्द ही पटना में एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जायेगा।

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