*अवकाश तालिका में संशोधन से सूबे के शिक्षकों में भारी आक्रोश*

*अवकाश तालिका में संशोधन से सूबे के शिक्षकों में भारी आक्रोश*


पटना/30/08/23-  माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा अवकाश तालिका में संशोधन करके शिक्षकों के अवकाश में कटौती करने से सूबे के शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है।टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह,प्रदेश अध्यक्ष संजीत भारती और प्रदेश महासचिव आलोक रंजन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बिहार शिक्षा सेवा संहिता के अनुसार विद्यालयों में एक वर्ष में साठ दिन अवकाश का प्रावधान है। शिक्षा विभाग ने जानबूझ कर शिक्षकों को प्रताड़ित करने के लिए नया अवकाश तालिका जारी किया है।जिसके अनुसार सभी शिक्षकों के अवकाश में 12 से 15 दिन की कटौती की जा रही है। दुर्गा पूजा में आठ दिन के जगह रविवार सहित तीन दिन ,दीपावली में सात दिन के जगह रविवार को एक दिन की छुट्टी और छठ जैसे आस्था के महा पर्व में  सात दिन के जगह रविवार सहित दो दिन की छुट्टी देना विकृत मानसिकता और हिन्दू धर्म विरोधी मानसिकता का परिचायक है। सबसे हास्यास्पद यह है कि छुट्टी के दिनों में रविवार की भी गिनती की गई है।वहीं दूसरी तरफ पूर्व से घोषित अवकाश में संशोधन करके महिला शिक्षिकाओं के निर्जला व्रत तीज,जीवित पुत्रिका व्रत ,जन्माष्टमी और रक्षा बंधन के अवकाश की कटौती कर ली गयी है।इन व्रत त्योहारोंमें एक भी दिन का अवकाश नहीं देना महिला शिक्षिकाओं पर अन्याय करने जैसा है।

शिक्षा अधिकार कानून(RTE) के अनुसार साल में 220 दिन स्कूल चलाना है। अभी साल में 60 छुट्टी औऱ 53 दिन रविवार के बाद भी  253 दिन स्कूल बच्चों के अध्धयन अध्यापन के लिए खुला रहता है।बाबजूद इसके हिदुओं के पर्व त्योहार के दिनों में शिक्षको और छात्रों की छुट्टी में कटौती की जा रही है। शिक्षकों साथ इस तरह का व्यवहार करना घोर अन्याय पूर्ण और निंदनीय है,साथ ही छात्रों को तय मानक से अधिक दिनों तक विद्यालय बुलाना भी शोषण करने जैसा है।

शिक्षा अधिकार कानून के अनुसार अभी सप्ताह में 45 घंटा स्कूलों में पढ़ाई का नियम है जबकि नई शिक्षा नीति में  सप्ताह में पढ़ाई के घंटों को घटाकर 29 घंटा कर दिया गया है जिससे अध्धयन रत बच्चों को पढ़ाई बोझिल न् लगे,वही बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा तमाम आदेश,नियम,कानून की धज्जियां उड़ाते हुए राष्ट्रीय मानक से अधिक दिनों तक विद्यालय संचालन करवाने की कोशिश की जा रही है। जब सरकार को छुट्टी रद्द ही करना है तो सभी विभाग का करें,सिर्फ शिक्षा विभाग के शिक्षको का ही छुट्टी रद्द करने का आदेश देना सरकार के शिक्षक विरोधी नीति का परिचायक है।

   विभाग द्वारा लगातार उल जलूल आदेश जारी करके शिक्षको को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ जल्द ही संघ की बैठक करके  चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की जाएगी।

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