
मैथिली रंगकर्म को समर्पित भंगिमा वार्षिकोत्सव पर मैथिली नाटक मुक्ति का मंचन
पटना
स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में महेन्द्र मलंगिया लिखित रेडियो नाटक "देह पर कोठी खसा दिया" परिवर्तित नाम (मुक्ति )का नाट्य रूपांतरण मुकेश झा ने,ज़िसका निर्देशन अंतेश झा ने किया |
कार्यक्रम की शूरुआत कुमार गगन लिखित भंगिमा गान से हुआ।
नाटक "मुक्ति" में बेरोजगारी का दंश ,असामान्य घटना के परिधि में मानवीय संवेंदना का दो अलग अलग चित्र उपस्थित करता है |
एक पक्ष में ज़हा मानवीय संवेदना को कुचली जाती है ..वही दुसरे पहलू में एक ज़िम्मेदार व्यक्ति कानून से उपर मानवीय संवेदना को तबज्जो देते हुये फैसला सुनाते हैं |कोर्ट रूम ड्रामा के माध्यम से गंभीर प्रश्न और विमर्श प्रस्तुत करता है |
अंतेश झा का उत्कृष्ट निर्देशन और कलाकारों के अभिनय ने लोगो का मन मोह लिया |
इस बार का कार्यक्रम भंगिमा के प्रथम अध्यक्ष -संस्थापक सदस्य छत्रानन्द सिंह झा ऊर्फ 'बटुक' भाई को समर्पित था |
कार्यक्रम के उदघोषक व मंच संचालन के रुप में संजीव झा ने ज़िम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया।
नाटक में युवक (केशव)और युवती (ज्योति प्रभा)ने मर्म से अभिनय से लोगों को चकित कर दिया।
वकील में ( रंजन व बैजू ) एवं गवाह (विनोद मिश्र ) माँ (आशा चौधरी ) ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया |
इस अवसर पर भारी संख्या में साहित्य, कला और नाटक कलाप्रेमी उपस्थित होकर देखा।
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