निषाद राज गुह की जयंती श्रद्धा व उत्साहपूर्वक मनाई गई

निषाद राज गुह की जयंती श्रद्धा व उत्साहपूर्वक मनाई गई


 पटनाः बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ की ओर से गुरूवार को मीन भवन सभागार में निषाद राज गुह की जयंती बड़े श्रद्धा व उत्साहपूर्वक मनाई गई। निषाद राज गुह के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित किया गया। राष्ट्रीय व बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ के सदस्यों ने कहा की निषादों के अराध्य देव भगवान निषाद राज गुह भगवान श्री राम के बाल सखा होने के कारण दोनों के बीच प्रेम भाव ऐसा था कि दोनों एक दूसरे का सम्मान करते थे। मौके पर मुख्य अतिथि और बिहार विधान परिषद् के सदस्य हरि सहनी ने कहा महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में रहकर भगवान श्रीराम और निषादों के अराध्य निषाद राज गुह ने शिक्षा और संस्कार प्राप्त की। प्रभु श्रीराम, भगवान निषाद राज गुह के परम मित्र थे। श्री राम के सखा होने के कारण त्रेतायुग के सम्पूर्ण समाज में निषाद समाज की विशेष प्रतिष्ठा थी। यही कारण हैं की निषाद राज गुह रामराज और रामायण के खास पात्र रहे। जिसके बारे में विस्तार से वर्णन रामायण के अयोध्या कांड में किया गया है। मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रयाग सहनी ने कहा कि, अपने राज्याभिषेक के कुछ वर्ष बाद भगवान श्रीराम ने अश्वमेघ यज्ञ करवाया था, जिसमें उन्होंने चारों दिशाओं के राजाओं को आमंत्रित किया था। भगवान श्रीराम वह सब करते रहे हैं, जैसा निषाद राज कल्पना करते थे। उनके श्रम और भक्ति को पूरा मान-सम्मान देते रहे और निषाद राज रामराज के प्रथम नागरिक बन जाते हैं। जब 14 वर्ष के वनवास के लिए भगवान श्रीराम निषाद राज गुह के राज्य में पहुंचते हैं, तो चित्रकुट जाने के क्रम में यमुना पार करने के लिए निषाद राज ने बांस की एक नाव बनाकर श्रीराम को सहयोग कर मित्रता की मिशाल कायम की थी। इस अवसर पर प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने बताया की भगवान श्रीराम पर आने वाले किसी संकट से जूझने को निषाद राज गुह हमेशा तत्पर रहे। उन्होंने प्रभु श्रीराम को अपना आराध्य माना और अपना जीवन एवं अपना सर्वस्व उन्हें समर्पित कर दिया। एक समय वनवास के क्रम में प्रभु श्रीराम पर खतरे की शंका मात्र से निषादों के आराध्य देव निषाद राज गुह अपने समाज और सेना को तैयार कर प्रभु राम की सुरक्षा मेें मर मिटने को तैयार हो गए थे और अयोध्या की सेना के सामने डट गए थे। वन में अपने भाई से मिलने जा रहे, अयोध्या सम्राट भरत की सेना को देख उन्हे संदेह हो गया था, कि उनके प्रभु राम के सामने सुरक्षा का संकट है। निषाद राज गुह को त्रेतायुग में जो सम्मान व गौरव प्राप्त था, आज वही सम्मान और गौरव प्राप्त करने हेतु संघर्ष की आवश्यकता है। समाज को आत्म सम्मान की सुरक्षा तभी मिलेगी, जब हम अपने आराध्य देव निषाद राज गुह को पुनः कलयुग में सम्मानित होते देखेंगे। उचिम सम्मान और समाज को गौरव दिलाने हेतु अंतिम क्षण तक हम संघर्ष करेंगे। हमें निषादों के गौरवशाली इतिहास पर नाज है, उनकी प्रेरणा और सामाजिक एकता से ही हमें सम्मान-प्रतिष्ठा मिलेगी। कार्यक्रम में अभिलाष कुमार, नीरज कुमार, धमेन्द्र सहनी, मदन कुमार, ब्रजेन्द्र नाथ सिन्हा, नरेश सहनी, अजेन्द्र कुमार, दिनेश सहनी (मंत्री), लाल बाबू सहनी (सरपंच), दिलीप सहनी (पूर्व अध्यक्ष), अरूण सहनी, वरूण सहनी, रामदेव महतो, रविन्द्र कुमार, रविकांत कुमार, प्रमोद कुमार रजक, रौशन कुमार, मुनाव्वर अली, अभिलाषा सिंह, गुड्डी बेगम, प्रियंका कुमारी, सिमरन, देवेन्द्र कुमार, श्रीमती कृष्णा देवी, उपाध्यक्ष, बिहार निषाद संघ एवं मीडिया प्रभारी जय शंकर उपस्थित थे।

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