भीड़ नियंत्रण और शांति व्यवस्था में सिविल डिफेंस की रही अहम भूमिका

भीड़ नियंत्रण और शांति व्यवस्था में सिविल डिफेंस की रही अहम भूमिका

 जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना 04 अक्तूबर ::

शारदीय नवरात्र और विजयादशमी के अवसर पर राजधानी पटना में सिविल डिफेंस के जवानों ने एक बार फिर अपनी जिम्मेदारी और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया। गांधी मैदान में आयोजित राजकीय रावण वध समारोह से लेकर गंगा घाटों पर हुए प्रतिमा विसर्जन तक, सिविल डिफेंस के सैकड़ों वार्डन भीड़ नियंत्रण और विधि-व्यवस्था बनाए रखने में लगातार सक्रिय रहे।

जिलाधिकारी सह सिविल डिफेंस नियंत्रक त्याग राजन के निर्देश पर गांधी मैदान में लगभग 50 जवानों को तथा विभिन्न गंगा घाटों पर 100 से अधिक वार्डनों को तैनात किया गया था। उनका प्रमुख उद्देश्य था, भीड़ में अफरा-तफरी की स्थिति न उत्पन्न हो, श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और विसर्जन प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो।

गांधी मैदान में आयोजित राजकीय रावण वध कार्यक्रम में सिविल डिफेंस की जिम्मेदारी चीफ वार्डन विजय कुमार सिंह एलिस और ग्रुप लीडर श्यामनाथ सिंह के नेतृत्व में निभाई गई। इनके सहयोग के लिए वार्डन कुंदन कुमार को डिप्टी ग्रुप लीडर के रूप में नियुक्त किया गया था। मैदान में लाखों की भीड़ के बीच इन वार्डनों ने सुरक्षा घेरे को व्यवस्थित रखते हुए लोगों को निर्धारित मार्गों से प्रवेश और निकास सुनिश्चित कराया।

वहीं, गंगा घाटों पर प्रतिमा विसर्जन के दौरान भी सिविल डिफेंस के जवानों ने पुलिस और जिला प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर अद्भुत टीमवर्क दिखाया। पटना सिटी के गायघाट पर डिवीजनल वार्डन सरदार मनोहर सिंह को प्रभारी बनाया गया था, जबकि वार्डन हरेंद्र नाथ वहां विसर्जन की प्रक्रिया को नियंत्रित करते नजर आए। सैकड़ों प्रतिमाओं के शांतिपूर्ण विसर्जन में इनकी भूमिका सराहनीय रही।

सिविल डिफेंस के अन्य वार्डनों जैसे अंशु देवी, रश्मि पांडे, विकास कुमार सिंह, अमन कुमार, प्रवीण प्रीतम, प्रकाश कुमार, राज किशोर सिंह, राजकुमार, द्वारिका प्रसाद, डॉ. राजीव गंगोल, श्याम नंदन चौरसिया, सुदय रंजन, गणेश कुमार और संजय पासवान ने अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभाई। उन्होंने न केवल भीड़ नियंत्रण किया बल्कि घाटों पर आपदा प्रबंधन, डूबने से बचाव और श्रद्धालुओं के मार्गदर्शन में भी अहम भूमिका निभाई।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सिविल डिफेंस ने यह साबित किया कि समाज में उनकी भूमिका केवल आपदा के समय तक सीमित नहीं है, बल्कि जनसुरक्षा और सामुदायिक सहयोग की हर गतिविधि में उनकी भागीदारी आवश्यक है। भीड़ के बीच अनुशासन बनाए रखना और जनसुरक्षा को प्राथमिकता देना इनकी कार्यकुशलता का परिचायक रहा।

राजधानी के नागरिकों और प्रशासन ने सिविल डिफेंस के इन नायकों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी मुस्तैदी और संयम ने दशहरा और प्रतिमा विसर्जन जैसे बड़े आयोजनों को सफल और शांतिपूर्ण बनाने में अहम योगदान दिया।
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