राजद की झूठ और फरेब की राजनीति सीमित हितों की, नीतीश कुमार की राजनीति विकास और सुशासन की - जद (यू)

राजद की झूठ और फरेब की राजनीति सीमित हितों की, नीतीश कुमार की राजनीति विकास और सुशासन की - जद (यू)

   जद (यू) प्रदेश प्रवक्ता श्री हिमराज राम, प्रदेश प्रवक्ता श्री परिमल कुमार एवं मीडिया पैनलिस्ट डाॅ0 मधुरेंदु पांडेय ने मीडिया में जारी बयान में आरजेडी पर तीखा हमला बोला और कहा कि बिहार की जनता भलीभांति जानती है कि भ्रष्टाचार, घोटालों और परिवारवाद की राजनीति ने राज्य को वर्षों पीछे धकेल दिया था। ऐसे में घोटालों के गंभीर आरोपों से घिरे तेजस्वी यादव का महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होना न केवल बिहार की जनता के जनादेश का अपमान है, बल्कि यह उस पुराने दौर को फिर से लाने की कोशिश है जब सत्ता जनता की सेवा के बजाय परिवार के इर्द-गिर्द सिमट जाती थी।

     हाल ही में बिहार में हुई जाति आधारित गणना ने यह साफ कर दिया है कि राज्य की सामाजिक संरचना कितनी विविध और संतुलित है। इस गणना के अनुसार, बिहार की कुल आबादी में पिछडा वर्ग लगभग 27 प्रतिशत, अत्यंत पिछडा वर्ग लगभग 36 प्रतिशत, अनुसूचित जाति लगभग 19 प्रतिशत, विशेष रूप से मुस्लिम आबादी, लगभग 17 प्रतिशत है। ये आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि बिहार की असली ताकत सामाजिक न्याय, समान भागीदारी और सर्वांगीण विकास में निहित है।

    लेकिन महागठबंधन की तरफ से जब तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार और मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, तो यह कदम बिहार की सामाजिक संरचना और प्रतिनिधित्व की भावना के साथ एक प्रकार की राजनीतिक छेड़छाड़ साबित हुआ है। यह निर्णय इस बात की ओर संकेत करता है कि राजद नेतृत्व केवल अपने परिवार और सीमित राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए काम कर रहा है, जबकि अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़े वर्गों की वास्तविक हिस्सेदारी की उपेक्षा की जा रही है।

     मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस दूरदर्शिता और सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ जाति आधारित गणना को पूरा कराया, उसने बिहार को देश के सामने सामाजिक न्याय का एक आदर्श माॅडल प्रस्तुत किया। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में हर वर्ग, हर समाज और हर क्षेत्र के विकास को समान प्राथमिकता दी गई है। यही कारण है कि आज बिहार की जनता उन्हें एक ईमानदार, संवेदनशील और सर्वसमावेशी नेता के रूप में देखती है।

    राजद की राजनीति आज भी परिवारवाद और जातीय समीकरणों तक सीमित है, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सद्भाव की राजनीति में विश्वास रखते हैं। बिहार की जनता अब छल, भ्रष्टाचार और झूठे वादों के दौर में लौटना नहीं चाहती। वह उस राजनीति का समर्थन करती है जिसने राज्य में सड़कों से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा तक हर क्षेत्र में ठोस काम किया है।

       बिहार का मतदाता अब यह तय कर चुका है कि राज्य में विकास, स्थिरता और सामाजिक न्याय की राजनीति ही आगे बढ़ेगी। परिवारवाद और भ्रष्टाचार के प्रतीक बन चुके राजद नेतृत्व के लिए बिहार की जनता के दिल में अब कोई जगह नहीं है।





                          

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