नेपाल की अपूरणीय त्रासदी में ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस का - “मानवीय संबल”

नेपाल की अपूरणीय त्रासदी में ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस का - “मानवीय संबल”

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 10 सितम्बर :: 

मानव जीवन का सबसे कठिन समय वह होता है, जब अचानक कोई अपूरणीय त्रासदी घटित होती है। ऐसे क्षणों में न केवल प्रभावित परिवार, बल्कि पूरा समाज शोकाकुल हो जाता है। नेपाल में घटित त्रासदी ने अनेक परिवारों को गहरे दुख और पीड़ा से गुजरने पर विवश किया है। इस पीड़ा के समय में ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस (जीकेसी), नेपाल ने अपनी संवेदनशीलता और सामाजिक दायित्व का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।
त्रासदी चाहे किसी भी प्रकार की क्यों न हो, वह केवल एक परिवार तक सीमित नहीं रहती है, बल्कि उसके प्रभाव समाज और राष्ट्र तक पहुँचता है। शोक संतप्त परिवार जब अपनों के चले जाने का आघात झेलते हैं, तब उन्हें न केवल भावनात्मक, बल्कि नैतिक संबल की भी आवश्यकता होती है। जीकेसी नेपाल ने इस समय पर आगे बढ़कर न केवल पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा होने का संकल्प लिया है, बल्कि समाज को भी यह संदेश दिया है कि मानवता से बढ़कर कोई धर्म या संगठन नहीं है।
ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस (जीकेसी) ने इस आपदा के समय स्पष्ट किया कि संगठन केवल विचार-विमर्श का माध्यम नहीं है, बल्कि दुख की घड़ी में सहारा देने वाला परिवार भी है। जीकेसी नेपाल टीम ने पीड़ितों के साथ रहकर यह प्रमाणित किया है कि संगठन की शक्ति का वास्तविक स्वरूप सेवा और सहयोग में निहित है।

नेपाल ऐतिहासिक रूप से शांति और आध्यात्मिकता की भूमि रहा है। परंतु समय-समय पर आई आपदाओं ने इसकी सामाजिक संरचना को झकझोरने का प्रयास किया है। जीकेसी ने विश्वास जताया है कि शीघ्र ही नेपाल में शांति और सद्भाव का वातावरण पुनः स्थापित होगा। यह विश्वास न केवल पीड़ित परिवारों के लिए संबल है, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए आशा की किरण है।
ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस (जीकेसी) की ओर से शोक संतप्त परिवारों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। संगठन ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि इस कठिन समय में दुख सहने की शक्ति प्रदान करे और दिवंगत आत्माओं को शांति मिले। यह केवल शब्दों की औपचारिकता नहीं है, बल्कि पीड़ित परिवारों की पीड़ा को साझा करने का सच्चा प्रयास है।

आज के समय में जब समाज तेजी से व्यक्तिगत स्वार्थों की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में जीकेसी का यह कदम मानवता की मिसाल है। यह याद दिलाता है कि संगठन केवल नाम के लिए नहीं होते, बल्कि समाज की हर परिस्थिति में साथ खड़े रहने के लिए होते हैं। नेपाल की इस अपूरणीय त्रासदी के समय ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस ने न केवल संवेदना व्यक्त की है, बल्कि भविष्य के लिए आशा और साहस का संदेश भी दिया है।
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