तौहीद इंटरनेशनल अकादमी और विश्व शांति ने संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय फिक्र-ए-कॉन्फ्रेंस 2025 का आयोजन किया

तौहीद इंटरनेशनल अकादमी और विश्व शांति ने संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय फिक्र-ए-कॉन्फ्रेंस 2025 का आयोजन किया

तौहीद इंटरनेशनल अकादमी और विश्व शांति ने संयुक्त रूप से मुहर्रम के अवसर पर, अंतर्राष्ट्रीय फिक्र-ए-कॉन्फ्रेंस 2025 का आयोजन किया। यह कॉन्फ्रेंस हज़रत मुहमद के नवासे हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने और उनके बलिदान, सत्य, और मानवता के लिए उनके संदेश को विश्व मंच पर पहुंचाने के लिए किया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेन्स में देश विदेश से कई वक्ताओं ने इमाम हुसैन के बारे में लोगों को बताया जिनमें मुख्य रूप से ग्रीस के शिक्षा व धार्मिक मंत्रालय में काम करने वाली डॉ0 रानिया लंपौ और नेशनल टेक्सटाइल यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ0 मुहम्मद यासीन थे। फ़िक़्र ए हुसैन कॉन्फ्रेन्स में भारत के अलावा देश विदेश से सैकड़ों लोग ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। इस मौके पर तौहीद इंटरनेशनल अकादमी, सिकता के निदेशक शब्बीर अहमद ने कहा की हमें धर्म व संस्कृति से जुड़े रहने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा की मुहर्रम केवल मातम का महीना नहीं, बल्कि यह मानवता, बलिदान, और इंसाफ की सीख देता है। उन्होंने कहा इमाम हुसैन हर वर्ग व समुदाय में लोकप्रिय हैं। विश्व शांति के मुख्य संपादक सैय्यद दानिश ने अपने संबोधन में कहा कि इमाम हुसैन का बलिदान सत्य और मानवता की रक्षा के लिए एक अनमोल उदाहरण है। यह कॉन्फ्रेंस कर्बला के पैगाम को विश्व स्तर पर फैलाने और विभिन्न समुदायों में एकता व शांति को बढ़ावा देने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन का समर्पण क़यामत तक मानवता को प्रेरित करता रहेगा।

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