
12 अगस्त को गुलाबी साड़ी से पटेगा गर्दनीबाग
*यह छोटी जीत है, पूरी की लड़ाई जारी है!*
*12 अगस्त को गुलाबी साड़ी से पटेगा गर्दनीबाग*
पटना, 30 जुलाई 2025
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (संबद्ध महासंघ गोप गुट/ऐक्टू) ने आशा और आशा फैसिलिटेटरों के मासिक मानदेय में हालिया वृद्धि को उनके निरंतर संघर्ष और दबाव का परिणाम बताया है. यह जीत 5 दिवसीय राज्यव्यापी हड़ताल, 9 जुलाई की राष्ट्रीय हड़ताल, और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के दर्जनों स्थानों पर घेराव जैसे आंदोलनों से हासिल हुई है.
संघ ने इसे "छोटी जीत" करार दिया है, क्योंकि नीतीश कुमार सरकार और वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने आशाओं की 35 दिनों की ऐतिहासिक हड़ताल के दौरान पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव के साथ हुए समझौते के मुख्य बिंदु – मानदेय वृद्धि – को चालाकी से नजरअंदाज कर दिया है.
संघ की मांगें स्पष्ट हैं:
*आशा और आशा फैसिलिटेटर को मानदेयकर्मी/एनएचएम कर्मी का दर्जा दिया जाए।*
*समझौते की तिथि से मानदेय में वृद्धि का प्रभावी भुगतान हो।*
*केंद्र सरकार तत्काल एनएचएम की 4 जुलाई की सिफारिश – 3500 रुपये मासिक मानदेय – को लागू करे।*
केंद्र की मोदी सरकार पर भी आरोप है कि उसने 2018 के बाद आशाओं को मिलने वाली केंद्रीय राशि में कोई वृद्धि नहीं की है और एनएचएम के प्रस्ताव पर चुप्पी साधे बैठी है।
संघ की राज्य अध्यक्ष एवं विधान पार्षद कॉ. शशि यादव ने कहा कि यह आधी जीत है. हमारी लड़ाई जारी रहेगी जब तक आशाओं को उनका हक नहीं मिल जाता. 12 अगस्त को गर्दनीबाग गुलाबी साड़ी से पट जाएगा. वहाँ से सरकार की चौतरफा घेराबंदी शुरू होगी.
उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में आशा और आशा फैसिलिटेटर अब सरकार के मंत्रियों की सभाओं में तख्तियां लेकर सवाल पूछेंगी –हमें राज्य कर्मी का दर्जा दो, और हमारा हक दो!
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