रमज़ान के भव्य आयोजन के दौरान क़ासिम खुर्शीद के कलाम से होटल गार्गी की महफिल यादगार बन गई
धर्म देश या समाज मुहब्बतों से ही फलते फूलते हैं भारत की लंबी परंपरा को देखें तो ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया के सभी बड़े धर्मों का ये केंद्र रहा है इस लिए सूफी संत देवी देवता पैगंबर भी इसी धरती से सर्वाधिक मुहब्बत का पैग़ाम पूरी दुनिया को देते रहे हैं।रमज़ान का पवित्र महीना भी हमेशा इस का गवाह रहा है ।इस बार भी पटना के भव्य गार्गी होटल में इफ़्तार और सामूहिक दावत एहतमाम होटल गार्गी के श्री आर के सिंह और मशहूर समाजी रहनुमा जनाब एजाज़ हुसैन ने भव्यता के साथ किया ।जिसमें बिहार में मौजूद पत्रक क्षेत्र की सभी बड़ी शख्सियतों को आमंत्रित किया गया और विशेष रूप से अभी बहरीन के आलमी मुशायरे दिल्ली में आयोजित साहित्य अकादमी के सब से बड़ी लिटरेरी फेस्टिवल के साथ इन सी पी यू एल के आलमी मुशायरे और बिहार दिवस 2025 के भव्य मुशायरे कवि सम्मेलन में कीर्तिमान स्थापित करने वाले अंतरराष्ट्रीय शायर डा क़ासिम खुर्शीद की विशेष रूप से आमंत्रित कर उनको सुनने के लिए भी विशेष आयोजन किया गया । डा खुर्शीद ने इस अवसर पर सभी का दिल की गहराई से शुक्रिया अदा किया और फरमाइश पर अपने कई खूबसूरत कलाम सुनाए जिस से मुहब्बत की खुशबुओं को जन जन तक पहुंचाने के लिए खास ख़ास तहरीक मिली।
तमाशा देखने वाले तो बस साहिल पे रहते हैं
जिन्हें उस पार जाना है किनारों पर नहीं चलते
तुम्हारी याद में खोता नहीं हूं
मगर मैं रात भर सोता नहीं हूं
बहलने की सज़ा झेली है बरसों
खिलौने के लिए रोता नहीं हूं
कहीं मुझ में सफ़र रहता है जारी
मगर मैं तो वहां होता नहीं हूं
और उनका ये कलम भी खूब रहा
खुशबुएं दूर से एहसास करा देती हैं
हर किसी फूल को छू कर नहीं देखा जाता
डा क़ासिम खुर्शीद ने इस मुबारक मौके पर अपनी दो नई किताबें "दस्तकें खामोश हैं" और "दिल की किताब "भी पेश की।
इस मौक़े पे उन्हें बहुत पसंद किया गया और डा अहमद अब्दुल हुई , जनाब आर के सिंह , जनाब परवेज अख्तर,जनाब एस अरशद जनाब अशरफ फरीद जनाब एजाज़ हुसैन जनाब फहीम उद्दीन जनाब अनवर जमाल सहित अनेक शख्सियतों ने इस यादगार आयोजन की अहमियत के साथ गार्गी में क़ासिम खुर्शीद के बेहतरीन कलाम को बहुत पसंद किया। फिर डा अहमद अब्दुल हुई ने ऐसे आयोजन के लिए गार्गी के सरबराह आर के सिंह और समाजी रहनुमा जनाब एजाज़ हुसैन की खूब तारीफ़ की और प्रेम की अहमियत पर गंभीर चर्चा की। क़ौमी तंजीम के एडिटर इस एम अशरफ फरीद ने भी बेहतरीन उदगार पेश किए।
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