बहरीन के अंतर्राष्ट्रीय मुशायरे में डा क़ासिम खुर्शीद ने भारत और बिहार का सम्मान बढ़ाया
निश्चित रूप से ये गौरव का विषय है कि
उर्दू हिंदी के अंतर्राष्ट्रीय शायर शिक्षा विद पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ क़ासिम खुरशीद गल्फ देश बहरीन के बेहद स्तरीय विश्व मुशायरे कवि सम्मेलन में शायर के तौर पर विशेष रूप से आमंत्रित किए गए जबकि इस मुशायरे कवि सम्मेलन में सारी दुनिया से चुने हुए मात्र 10 अत्यंत स्तरीय शायरों कवियों और कवित्रियों को आमंत्रित किया गया था जिन में पीर ज़ादा क़ासिम , अम्बरीन हसीब अरुण जेमिनी क़ासिम खुर्शीद ताहिर फ़राज़ इक़बाल अशहर नवाज़ देवबंदी मणिका दुबे हिना अब्बास और मुस्कान सैयद उल्लेखनीय हैं।
बहरीन के अत्यंत भव्य होटल रामी के आलीशान हॉल में हज़ारों की संख्या में लोग आने प्रिय शायरों को सुनने आए थे। विभिन्न देशों के कवियों शायरों ने अपनी अपनी प्रतिनिधि रचनाओं से सभी को प्रभावित किया। मगर ये बिहार के लिए बेहद गौरव की बात थी कि लग भग दो दशक पश्चात पद्मश्री कलीम आजिज़ के बाद बिहार से डा क़ासिम खुर्शीद को आमंत्रण का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्हें जब विस्तृत योगदान के उल्लेख के बाद संचालिका डॉ अम्बरीन हसीब अंबर ने आमंत्रित किया तो अपने प्रिय शायर को सुनने के लिए उनके स्वागत में बहरीन का भव्य हाल देर तक तालियों से गूंजता रहा। डा क़ासिम खुरशीद ने अपने आमंत्रण पर आयोजकों का विशेष शुक्रिया अदा करते हुए सर सैयद एजुकेशनल क्लचरल सोसाइटी को बधाई भी दी और फिर अपनी ग़ज़लों का सफ़र प्रारंभ किया।उनकी शायरी और अंदाज़ ए बयां से सभी भाव विभोर हो रहे थे। उन्होंने अपनी कई गजलें पेश कीं और मुशायरा लगातार बुलंदियों को छूटा रहा। उनके कुछ अशआर यूं थे।
ये रस्में दुनिया है और हम निभाते रहते हैं
तुम्हारे बाद भी महफ़िल सजाते रहते हैं
अंधेरी रात में ख़ून ए जिगर के क़तरों से
तुम्हारी याद की शम्में जलाते रहते हैं
फिर ये भी कि :
वो गिरते हैं संभलते हैं सहारों पर नहीं चलते
अंधेरों के ये जुगनू हैं उजालों पर नहीं चलते
तमाशा देखने वाले तो बस साहिल पे रहते हैं
जिन्हें उस पर जाना है किनारों पर नहीं चलते
इस तरह डा क़ासिम खुर्शीद की शायरी से सभी शराबोर हुए । बिहार और भारत के बुद्धिजीवियों ने डा क़ासिम खुर्शीद के कामयाब साहित्यिक विदेश भ्रमण की कामयाबी पर खूब बधाईयां दी हैं। बहरीन वापसी पर उनके सम्मान में गोष्ठियों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है।
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