यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा (यूएमएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सर्जन डा. एजाज अली ने बालाकृष्णन कमीशन गठन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार जताया।
पटना। डा. एजाज अली ने कहा कि यह कमीशन दलित मुस्लिम के नाम पर बना है। यह धारा 341 में संशोधन के लिए बनाया गया। यह 2022 में बना था। इस कमीशन में पूर्व न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन, पूर्व आईएएस डा. रवीन्द्र कुमार जैन एवं डा. सुषमा यादव शामिल थे। इस कमीशन को बनाने का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम और ईसाइयों में दलित कौन होते है, इनकी क्या समास्याएं है, इन्हें अनुसूचित जातियां आरक्षण में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं। ये सभी पर कमीशन आधारित है। पहली बार बिहार में कमीशन 23 अगस्त 2024 को ज्ञानभवन में जनसुनवाई कार्यक्रम हुआ। इसमें सभी के बातों को गंभीरतापूर्वक सुना गया। डा. एजाज अली कहा कि इस्लाम में न जात-पात की गुजाईश है और छूआछत की है। लेकिन, मुस्लिम समाज में कई जातियां है और दलित मुसलमान भारतीय समाज में छूआछूत के शिकार हुए है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों में धोबी, डोम, लालवेगी, भाट, मेहतर, भंगी, मोची, फकीर, मदारी, खटीक, जुलाहा,बंजारा, हलालखोर, जोगी, डफाली आदि 3-4दर्जन जातियां हैं। ये सभी दलित वर्ग में आते हैं। इसी तरह बंगाल, तमिलनाडु, केरल, तेलगांना, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में दलित वर्ग के अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने कहा कि छूआछूत मानने वाले लोग अछूतों का धर्म नहीं बल्कि उसके जाति और पेशा देखते है।
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