पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी जी की 26 में पुण्यस्मृति दिवस पर ध्रुपद संध्या के 92 वे एपिसोड का किया गया आयोजन

पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी जी की 26 में पुण्यस्मृति दिवस पर ध्रुपद संध्या के 92 वे एपिसोड का किया गया आयोजन

पद सम्राट् पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी जी की 26वीं पुण्यस्मृति दिवस पर ध्रुपद-संध्या के 92वें एपिसोड का आयोजन पद्मश्री पं. सियाराम तिवारी स्मृति संगीत समिति (नाद-विस्तार) तथा लेट्स इंस्पायर बिहार, गार्गी अध्याय के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में चर्चित आई.पी.एस.श्री विकास वैभव जी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती निशा मदन झा जी थीं।
                    इस सांगीतिक श्रद्धांजलि सभा में गया घराना, ग्वालियर घराना, बनारस घराना और पंडित वासुदेव उपाध्याय पखावज परंपरा, गया के विश्व विख्यात कलाकारों ने अपनी-अपनी विधा से पंडित जी को स्वरांजलि दी। 
             पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी जी दरभंगा घराने के सुविख्यात ध्रुपद गायक थे। ध्रुपद के साथ-साथ चारों पट के गायक थे। एम.एल.सी., पद्मश्री, राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त, तानसेन पुरस्कार से विभूषित, संगीत नाटक अवार्ड से सुशोभित बिहार की धरती को गौरवांवित करनेवाले कलाकार थे।
                    उनके सम्मान में सर्वप्रथम पखावज युगल वादन प्रस्तुत किया गया। कलाकार थे...श्री गौरव शंकर उपाध्याय एवं श्री सौरभ शंकर उपाध्याय जो कि पंडित वासुदेव उपाध्याय पखावज परंपरा, गया के आठवीं पीढ़ी के कलाकार हैं।श्री गौरव शंकर  उपाध्याय एवं सौरभ शंकर उपाध्याय (उपाध्याय बंधुओ) ने चार ताल 12 मात्रा में गणेश स्तुति से आरंभ किया। अपनी परंपरा के उठान, परंपरागत, परण, रेला, झाला , कमली चक्रदार आदि सुनाया। द्रुत लय में तीन ताल में चौपल्ली आदि की धुँआधार वादन से श्रोताओं को रोमांचित एवं चमत्कृत कर दिया। इनके साथ लहरा पर बनारस घराने के युवा कलाकार श्री  विभाष मिश्रा जी ने संगत किया। 
                दूसरी प्रस्तुति लेकर आए ग्वालियर घराने के युवा बाँसुरी वादक मो. सलीम। उन्होंने तीन ताल में राग हंसध्वनि में प्रस्तुति दी। उसके बाद राग खमाज में धुन( आयो कहाँ से घनश्याम) सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तबले पर इनका साथ दिया बनारस घराने के युवा कलाकार श्री नन्दन ठाकुर जी। 
                ध्रुपद-संध्या की आखरी कड़ी में गया घराने के विश्व विख्यात कलाकार, पंडित अभिराम पाठक जी एवं पंडित शैलेन्द्र कुमार पाठक जी ने राग दरबारी में ध्रुपद गाया जिसके बोल थे....."गंगाधर शिव पिनाकी" चार ताल में राग बिहाग में धम्मार प्रस्तुत किया...."जमुना जल सजनी री, कैसे जाऊँ" बंदिश सुनाकर सभी को भाव-विभोर कर दिया। आखिर में राग खमाज में एक साहित्यिक रचना प्रस्तुत की।
सभागार में आमिर अहमद, विक्की साहनी, पल्लवी विश्वास, अविनय काशीनाथ, विनीता तिवारी, सुधा पाण्डेय, लक्ष्मी पाठक, श्री उमेश मिश्रा जी, डाॅ. रंजना झा जी, डाॅ. ओम प्रकाश नारायण, राजशेखर, अशोक सिंह, डाॅ. किशोर सिन्हा, श्री मनोरंजन ओझा जी, श्री विनोद कुमार पाठक जी, श्री संगीत कुमार पाठक जी तथा अन्य गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम की आयोजिका श्रीमती आशा पाठक तथा डाॅ. प्रीतिबाला थीं। मंच संचालन नम्रता कुमारी ने किया।

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