*“परचई कपूर” का असर नहीं होता है भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर*

*“परचई कपूर” का असर नहीं होता है भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर*


जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 23 मई, 2024 ::


“परचई कपूर” के संबंध में बताया जाता है कि यह कपूर एक खास तरह का कपूर होता है। क्योंकि इस कपूर को यदि पत्थर पर लगा दिया जाता है तो वह पत्थर कुछ समय के बाद दरक (चटक) जाता है। लेकिन इस कपूर (परचई कपूर) को भगवान वेंकटेश्‍वर स्‍वामी जी की मूर्ति पर लगाने के बावजूद भी कपूर का कोई प्रभाव मूर्ति पर नहीं पड़ता है। देखा जाय तो तिरुपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति रहस्यमय है। तिरुपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी जी के कुछ रहस्य भी ऐसे है जिसे जानकर लोग अचंभित होते हैं।


काफी विचित्र बात है कि तिरुपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मूर्ति के कानों के पास अगर ध्यान से सुना जाए, तो समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है।वहीं तिरुपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मूर्ति को गर्भगृह के बाहर से देखेंने पर मूर्ति दाई ओर दिखाई देती है और गर्भगृह के अंदर से देखेंने पर मूर्ति मध्य में दिखती है। 


तिरुपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मंदिर का गर्भगृह को ठंडा रखा जाता है, इसके बावजूद रहस्यमय बात यह है कि तिरुपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मूर्ति का तापमान 110 फॉरेनहाइट रहता है और मूर्ति को पसीना भी आता है, जिसे समय-समय पर पुजारी पोछते रहते हैं। वैज्ञानिकों के पास भी अभी तक यह जवाब नहीं है कि तिरुपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मूर्ति पर लगे बाल कभी नहीं उलझते और वह हमेशा मुलायम रहते हैं ऐसा क्यों होता है।


आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है तिरुपति बालाजी मंदिर, जहाँ भगवान वेंकटेश्वर स्वामी विराजमान है। देश के कोने-कोने से प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं। तिरुपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।


तिरुपति बालाजी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मंदिर समुद्र तल से 3200 फीट की ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना हुआ है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर, दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत समावेश हैं। 


तिरुपति बालाजी मंदिर से करीब 23 किलोमीटर दूर स्थित एक गाँव है, जहाँ लोग काफी पुरानी जीवन शैली का उपयोग करते हैं। कहा जाता है कि इसी गांव से तिरुपति बालाजी मंदिर के लिए फूल, फल, घी आदि सामग्री जाता है। यह भी बताया जाता है कि इस गांव में किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित है। 


एक रहस्यमय बात यह भी है कि मंदिर के गर्भगृह में एक दीपक जलता रहता है और यह दीपक हजारों सालों से ऐसे ही जल रहा है वह भी बिना तेल के, यह बात काफी ज्यादा हैरान करने वाली है ऐसा क्यों हो रहा है इसका जवाब आज तक किसी ने नहीं दे सका है।

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