*अहंकार तोड़ना हिन्दुओं के आदत - 4 जून को पता चलेगा नरेन्द्र मोदी को हिंदुओं का साथ मिला या नहीं!*
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 17 मई, 2024 ::
लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल, 2024 से शुरू हो गई है। यह चुनाव 1 जून,2024 तक 7 चरणों में सम्पन्न होगी और वोटों की गिनती 4 जून को होगी। अब तक देश में चार चरणों की मतदान हो गई है और शेष तीन चरणों की मतदान बाकी है। इन तीन चरणों के मतदान, 20 मई, 25 मई और 01 जून को होगी। कामोवेश मतदान शांतिपूर्ण चल रही है। इस बार उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल में सभी सात चरणों में मतदान हो रही है। एनडीए को मात देने के लिए इंडी गठबंधन हर तरह के हथकंडे अपने भाषणों में इस्तेमाल कर रहे हैं और उसका जबाव एनडीए भी लगातार दे रहा है। इस बार लोग भाजपा को वोट न देकर मोदी का अहंकार तोड़ने को होड़ लगा हुआ है। अगर एनडीए की इसबार सरकार नहीं बनती है तो इसका पूरा श्रेय हिंदुओं को मिलेगी। ऐसे भी देखा जाय तो ऐसा कोई पहली बार नहीं होगा, क्योंकि इतिहास गवाह है कि हिंदुओं ने साथ न देकर पहले भी बड़ों-बड़ों का अहंकार तोड़ा है।
एक समय सिंध के हिन्दू राजा दाहिर के अहंकार को तत्कालीन अफगानिस्तान और राजस्थान के हिन्दू राजाओं ने खत्म किया था। जबकि राजा दाहिर ने सहायता के लिये हिन्दू राजाओं को पत्र लिखा था, लेकिन दाहिर के अहंकारी होने के कारण उनका साथ देने कोई भी नहीं आया था। यही अहंकार के कारण राजा दाहिर मारा गया था। अब यह अलग बात है कि राजा दाहिर मृत्यु के बाद से सिंध में हिन्दुओं का निरंतर पतन होता रहा और आज अफगानिस्तान पूर्णतः इस्लामिक राष्ट्र है।
उसी तरह मुहम्मद गोरी के आक्रमण के समय भी पृथ्वीराज चौहान का साथ हिन्दू राजाओं ने न देकर उसके अहंकार को तोड़ा था। अब ये अलग बात है कि बाद में गोरी ने जयचंद (हिन्दू को भी) को भी कुत्ते की मौत मारा था।
मेवाड़ वालों को भी अपनी बहादुरी का बड़ा अहंकार था। जब खिलजी ने मेवाड़ को घेर लिया तब पूरे राजपूताने से किसी ने भी साथ नहीं दिया और रावल रतन धोखे से मारे गये।
राणा सांगा ने जब लोधी को कैद किया था, तब उनके अहंकार को तोड़ने के लिये डाकू बाबर को बुलाया गया। युद्ध में किसी ने राणा सांगा का साथ नहीं दिया था, उनका सेनापति तीस हजार सैनिकों के साथ मारा गया, राणा सांगा का अहंकार भी टूट गया। लेकिन लोधियों को भी मुगलों की गुलामी करनी पड़ी, मन्दिर तोड़े गए, स्त्रियां लूटी गई मुगलों के हाथ।
मराठे भी बड़े प्रतापी थे, उन्होंने मुगलों को छक्का छुड़ा दी थी। लेकिन उनको भी बहुत अहंकार था। मुगल हारने के बाद अफगानिस्तान से अमहद शाह अब्दाली बुलाया था, पानीपत के मैदान में अब्दाली की सेना को तो रसद मिलती रही पर मराठों को किसी ने भी रसद नहीं भेजी थी, क्योंकि मराठों का अहंकार तोड़ना था। भूखे पेट मराठे कब तक लड़ते, लेकिन फिर भी वे लोग लड़ते रहे, मरते रहे और अंत में हार गये। उस समय महाराष्ट्र का कोई ऐसा घर नहीं बचा था जिसका कोई बेटा उस युद्ध में शहीद न हुआ हो, लेकिन अहंकार तो मराठों का आखीर टूट ही गया।
न जाने कितनी बार समय पर साथ न देकर हिन्दुओं के पुनरुत्थान की मुहिम के लिए की जाने वाली लड़ाईयों/ प्रयासों में अपनों के अहंकार को तोड़ा है, तो भला आज नरेन्द्र मोदी को भी नीचा दिखाने के लिए हराय बिना कैसे रहेंगे। भले ही इसके लिये गोरियों, मुगलों, अब्दालियों या फिर इटली, पाकिस्तान और चीन की मदद ही क्यों न लेनी पड़े और देश को उनके हाथों गिरवी रखना पड़े... आखिरकार नरेन्द्र मोदी का अहंकार भी तो हमें ही तोड़ना है।
अब इस महान कार्य को अंजाम देने का बीड़ा उठाया है काँग्रेस, तृणमूल, लेफ़्ट, सपा, बसपा, राजद, ऐआइऐमआइऐम, शिवसेना,एनसीपी, डीएमके और अन्य पार्टी ने मिल कर। फिर ऐसे महान काम को पूरा करने में इन सभी को नि:संकोच विदेशियों और विधर्मियों का साथ भरपूर मिलेगा।
सात चरण के मतदान की अंतिम मतदान 01 जून को होगी और मतगणना 4 जून को, मतगणना के बाद ही परिणाम बतायेगा कि हिंदुओं ने नरेन्द्र मोदी (एनडीए) का साथ दिया या नहीं!
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