*कहां 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने की बात थी, अब 10 सालों का कोई हिसाब नहीं और 47 का सब्जबाग दिखा रहे* *भाजपा का संकल्प पत्र आर एस एस का एजेंडा बढ़ाने वाला पत्र है*

*कहां 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने की बात थी, अब 10 सालों का कोई हिसाब नहीं और 47 का सब्जबाग दिखा रहे* *भाजपा का संकल्प पत्र आर एस एस का एजेंडा बढ़ाने वाला पत्र है*


पटना 15 अप्रैल 2024


अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव उमेश सिंह ने भाजपा के संकल्प पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि

कहां 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने कि बात थी, दस सालों के शासन का कोई हिसाब नहीं और अब किसानों  और देश के आम अवाम को 47 का सब्जबाग दिखाया जा रहा है. हालांकि खुद भाजपा ने 2014 के चुनाव में काला धन की वापसी, प्रत्येक के खाते में 15 लाख रुपया, प्रत्येक साल दो करोड़ रोजगार आदि वादों को चुनाव जीतने के बाद जुमला करार दे दिया था. 2019 के चुनाव में - सबके लिए पक्का मकान, किसानों की आय दुगुनी करने, छोटे और सीमांत किसानों को पेंशन देने जैसे वादे भी अब जुमले साबित हो चुके हैं।

 किसानों के साथ एमएसपी पर विश्वासघात हुआ. किसानों की आय उलटे घट गई और उनपर आज कर्ज का बोझ काफी बढ़ गया है. सिर्फ मोदी शासन काल में एक लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं और बेरोजगारी का आलम यह है कि अब बेरोजगारी के कारण किसानों के बेटे बेटियां भी आत्महत्या कर रहे हैं। 

क्योंकि देश में बेरोजगारी और महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. देश के 80 प्रतिशत से अधिक युवा बेरोजगार हैं. युवाओं से रोजगार छीनने वाली अग्निवीर योजना लागू करने वाली सरकार एक बार फिर सब्जबाग दिखा रही है. 

संकल्प पत्र के एक दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यदि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर भी आ जाएं तो संविधान नहीं बदल सकता. जिस समय मोदी का संबोधन चल रहा था ठीक उसी समय फैजाबाद से उनके निवर्तमान सांसद व लोकसभा 2024 के चुनाव के उम्मीदवार लल्लू सिंह कह रहे थे कि चूंकि भाजपा को संविधान बदलना है और नया संविधान बनाना है इसलिए 400 सीटें चाहिए. सामान्य बहुमत से यह नहीं हो सकता. इसके पहले भाजपा सांसद अनंत हेगड़े भी ऐसा वक्तव्य दे चुके हैं. जाहिर सी बात है कि भाजपा का संकल्प पत्र भारत के संविधान को बदल देने की गहरी साजिश का ही हिस्सा है.

उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा प्रस्तावित यूसीसी महिला अधिकारों की गारंटी करने वाला नहीं बल्कि उसका उल्लंघन करने वाला प्रस्ताव है, जिसका नमूना उत्तराखंड में हम देख चुके हैं. यह किसी के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप है.

देश में ओलंपिक खेलों का आयोजन तो ठीक है, लेकिन पूरे देश ने देखा कि भाजपा सांसद द्वारा यौन शोषण की शिकार महिला पहलवानों के साथ भाजपा ने कैसा बर्ताव किया. मोदी शासन में महिला उत्पीड़न की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है और भाजपा बलात्कारियों के पक्ष में ही खड़ी दिखी है.

 उन्होंने कहा कि देश के आम अवाम,किसान मजदूर,युवा ,मेहनतकश,जो चाहता है वह भाजपा के संकल्प पत्र में नहीं है. यह सिर्फ आरएसएस का एजेंडा बढ़ाने वाला घोषणापत्र है. 

     

       

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