*रमज़ान का महीना पवित्र महीना है - इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद*

*रमज़ान का महीना पवित्र महीना है - इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद*


पटना - राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंच बिहार के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि रमज़ान का महीना पवित्र महीना जिसमें हर मुसलमान के ख्यालों में पबित्रता की लहर दौड़ जाती है | हर दिन ईद एवं हर रात शब ए बरात जैसा नज़ारा होता है |

इस महीने में अफतार एवं सेहरी का अलग ही नज़ारा देखने को मिलता है | रोज़ा हर मोमिन मर्द वो औरत के ऊपर फ़र्ज़ है जो बालिग़ (व्यस्क )है | रोज़ा या उपवास सभी धर्मों में किसी न किसी रूप में देखा जाता है पर इस्लाम धर्म में 12 महीने में एक महीना 30 दिन के रोज़े की विशेषता अलग ही दिखाई पड़ता है |

इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि इस महीने में महिलाएँ भी पुरुषों की तरह ही रोज़ा रखती हैँ और दोपहर से ही इफ्तार की तैयारी में जुट जाती हैँ | नमाज़ एवं तरावीह से फ़ारिग होकर देर रात तक व्यस्त रहने के पश्चात् ढाई -तीन बजे से सेहरी की तैयारी में जुट जाती हैँ | इस दौरान मुश्किल से वह सेहरी व इफ्तार कर पाती हैँ | मर्द मस्जिदों की रौनक बढ़ाते हैँ तो औरत घर की रौनक बढाती है | सेहरी व फ़ज़र की नमाज़ के बाद महिलाएँ बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी में लग जाती हैं | उसके बाद घर के काम में जुट जाती हैं। इस दौरान उन्हें आराम करने का कम समय मिल पाता है फिर भी उनके माथे पे शिकन नहीँ आती है | वे अपने कार्यों को ख़ुशी ख़ुशी अंजाम देती हैँ तो मर्द अपने रोज़मर्रा के हिसाब से अपने रोज़ी रोटी कमाने में लग जाते हैँ | महिलाएँ शाम को रोज़ेदारों के सामने दस्तरख़्वान लगती हैँ, उस समय रोज़ेदारों के चेहरे पर जो ख़ुशी नज़र आती है वह अनमोल है | इसमें महिलाएँ अहम भूमिका निभाती है | 

  रमज़ान के महीने में ज़कात, फितरा एवं सदक़ा के द्वारा हर मालदार साहब ए निसाब को यतीमों, गरीबों, बेवावों एवं लाचारों की मदद करना वाजिब एवं फ़र्ज़ भी है | इस महीने में 10 दिन एतकाफ की अलग अहमियत है! रमज़ान बखशिश का महीना है जिसमें इफ्तार पार्टी की अलग ही स्थान है |

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