भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना


तारीख: 02-03-2024

बिहार एवं झारखंड में वर्षा/ मेघगर्जन/ वज्रपात/ झोंकों के साथ तेज हवा/ ओलावृष्टि की संभावना

भारत मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान केंद्र, पटना से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार 2 से 4 मार्च, 2024 के मध्य विशेषकर पश्चिम एवं मध्य बिहार के कुछ स्थानों में हल्की से मध्यम स्तर की वर्षा (10-30 मिलीमीटर) की संभावना है। 3 मार्च, 2024 को राज्य के उत्तर-पश्चिम एवं उत्तर-मध्य भागों में एक या दो स्थानों पर मेघगर्जन/ वज्रपात की संभावना है और साथ ही राज्य के दक्षिण-पश्चिम एवं दक्षिण-मध्य भागों में भी एक या दो स्थानों पर मेघगर्जन/ वज्रपात/ 30-40 किमी प्रति घंटा की गति से झोंकों के साथ तेज हवाओं के भी चलने की संभावना है। मुख्यतः रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद और गया में मेघगर्जन/ वज्रपात/ ओलावृष्टि/ झोंकों के साथ तेज हवाओं (30-40 किमी प्रति घंटा) की संभावना है। 

भारत मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान केंद्र, रांची द्वारा भी झारखंड राज्य में 3 मार्च, 2024 को राज्य के कुछ स्थानों पर गर्जन के साथ हल्के से मध्यम स्तर की वर्षा का पूर्वानुमान दिया गया है। वहीं 3 और 4 मार्च, 2024 को राज्य के पश्चिमी एवं मध्य भागों में कहीं-कहीं पर, विशेषकर गढ़वा, पलामू और लातेहार जिलों में तेज हवाओं के झोंकों (30-40 किमी प्रति घंटा) के साथ वज्रपात एवं ओलावृष्टि की संभावना है। ऐसे में सभी को सूचित किया जाता है कि, अद्यतन स्थिति पर नजर रखें एवं सतर्क रहें। 

संभावित प्रभाव: 

मेघगर्जन, वज्रपात एवं ओलावृष्टि की स्थिति में जान-माल और पशुधन को नुकसान हो सकता है। 

वज्रपात, ओलावृष्टि एवं तेज हवाओं के कारण परिपक्वता पर पहुँच चुकी फसलों, फलों और सब्जियों को नुकसान हो सकता है। 

कच्चे घरों और पशु-घर का भी नुकसान हो सकता है।

किसान बंधु क्या करें:

परिपक्वता पर पहुँच चुकी सब्जियों जैसे लौकी इत्यादि और फलों जैसे बेर, स्ट्रॉबेरी, अमरूद इत्यादि को तोड़ कर सुरक्षित जगह पर रख दें। 

कद्दू और करेला जैसी सब्जियों की नर्सरी के बचाव के लिए उसे प्लास्टिक अथवा शेडनेट से ढक दें/ सुरक्षित जगह पर रख दें। 

मतस्यपालक तालाब में पानी के स्तर को 6-8 फीट तक बनाए रखें।    

वानिकी एवं फल वर्गीय छोटे पौधों को झाड़ियों या प्लास्टिक से ढक दें। 

खेत या मेड़ों पर लगे वनीय वृक्षों जैसे गमहार, सागोन, सखुआ और बकैन की टहनियों के टूटने से नीचे लगी फसलों को नुकसान हो सकता है, इसलिए अत्यधिक लम्बी टहनियों की कटाई-छटाई कर लें।   

खेतों में जल निकासी की व्यवस्था करें। 

ओलावृष्टि के बाद मौसम साफ हो जाने पर क्षतिग्रस्त फसलों पर 2% यूरिया का छिड़काव करें। 

पशुगृह के दरवाजे पर जूट या तिरपाल का पर्दा बांधें।

स्मार्ट फोन उपयोगकर्ता वज्रपात की अधिक सटीक जानकारी हेतु मोबाइल अप्लीकेसन “दामिनी” का उपयोग करें और समयानुसार ही अपने दैनिक खेती के कार्य करें।


किसान बंधु क्या न करें:

कृषक बंधु बिजली चमकने के दौरान खेतों में न जाएं, पेड़ों के पास आश्रय न लें और मौसम के साफ होने की प्रतीक्षा करें। 

ऊंचे पेड़ों एवं बिजली के खंबों से दूर रहें और मौसम के साफ होने तक निकटतम पक्के मकानों में ही रुकें। 

वर्षा, मेघ गर्जन ,वज्रपात एवं ओलावृष्टि के दौरान पशुधन को खुले स्थान पर न छोड़े। 

संभावित मध्यम स्तर की वर्षा फसलों के लिए पर्याप्त है अतएव खेतों में व्यर्थ सिंचाई न करें। 

तालाब में खाद/ गोबर का प्रयोग न करें।


यह कृषि मौसम परामर्श भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया है।

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