
*भारत रंग महोत्सव के तहत थिएटर फेस्टिवल में पांचवे दिन रोशनी प्रसाद मिश्रा द्वारा लिखित बाघेली हिंदी नाटक बसामन मामा का मंचन*
पटना 18 फ़रवरी 2024: भारतीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा), दिल्ली के तत्वाधान में पटना में भारत रंग महोत्सव के तहत थिएटर फेस्टिवल के पांचवे दिन, 18 फरवरी को पटना के कालीदास रंगालय में प्रसिद्ध नाटककार रोशनी प्रसाद मिश्रा द्वारा लिखित बाघेली हिंदी नाटक ‘बसामन मामा’ का मंचन किया गया। इसके निर्देशक रजनीश कुमार जायसवाल हैं तथा इसे इंद्रावती नाट्य समिति सीधी (मध्य प्रदेश) समूह ने तैयार किया है। नाटक की प्रस्तुति बाघेली हिंदी में की गयी है।
नाटक का सारांश:
बसामन मामा की कहानी शुरू होती है, बघेलखण्ड विंध्यक्षेत्र रीवा में बीड़ा और सेमरिया के बीच स्थित गाँव कुम्हरा से। बसामन शुक्ला प्रकृति से बहुत प्रेम करते हैं। वह बचपन से ही बहुत गुणी हैं। वह ब्रह्मदेव यानि वासुदेव (पीपल) से बहुत प्यार करते हैं और उनका बचपन वासुदेव की छाँव में ही बीतता है। एक अवसर पर वहाँ का राजा वासुदेव को काटने का आदेश देता है लेकिन बसामन मना कर देते हैं। जब बसामन विवाह के लिए जाते हैं, तभी राजा सैनिक भेजकर वासुदेव को कटवा देता है। बसामन राजा से युद्ध करने के लिए जाते हैं और अपनी ही कटार से पेट चीर लेते हैं। बसामन की आत्मा जीवित हो जाती है और राजा से युद्ध होता है और केवल रानी और बेटा दो लोग बच जाते हैं। राजकुमार के उन्हें मामा का सम्बोधन देने पर उन पर द्रवित होकर बसामन उन्हें बख्श देते हैं। कहा जाता है, एक औरत को कोई औलाद नहीं थी। उसने बसामन से प्रार्थना की तो उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यहीं से लोग बसामन को वासुदेव को भगवान की तरह पूजने लगे।
कल सोमवार को थिएटर फेस्टिवल के अंतिम दिन कालीदास द्वारा लिखित बहुभाषी नाटक संवत्सर कथा का मंचन किया जायेगा। इसका निर्देषन-रूपांतरण पियाल भट्टाचार्य ने किया है।
पटना के कालीदास रंगालय में भारत रंग महोत्सव के तहत थिएटर फेस्टिवल का आरंभ 14 फरवरी को साजिदा साजी द्वारा निर्देशित ‘दोजख’ नाटक की प्रस्तुति के साथ हुआ। 19 फरवरी तक चलने वाले इस समारोह का उद्घाटन कला एवं संस्कृति विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बमराह ने द्वीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर मुख सूचना आयुक्त श्री त्रिपुरारी शरण सिंह, श्री हरिकेश सुलभ तथा राष्टीय नाट्य विद्यालय के फैकल्टी मेंबर आसिफ अली हैदर खान भी अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
इस बार भारत रंग महोत्सव (बीआरएम) अपना 25वां वर्ष मना रहा है। ये महोत्सव 1 फ़रवरी से 21 फ़रवरी तक भारत के 15 शहरों में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें दिल्ली, मुंबई, पुणे, भुज, विजयवाड़ा, जोधपुर, डिब्रूगढ़, भुवनेश्वर, पटना, रामनगर और श्रीनगर आदि शहर शामिल हैं. इस 21 दिवसीय थिएटर फेस्टिवल में 150 से अधिक प्रदर्शन, कार्यशालाएं, चर्चाएं और मास्टरक्लास शामिल हैं। इस वर्ष भारत रंग महोसव की रजत जयंती मनाई जा रही है। इस वर्ष भारंगम की विषयवस्तु ‘वसुधैव कुटुंबकम-वंदे भारंगम्’ है। यह रंगमंच के माध्यम से वैश्विक एकता को बढ़ावा देने, सामाजिक सद्भाव को समृद्धि प्रदान करने के उद्देश्य का प्रतिरूप है। इस प्रदर्शन कला के माध्यम से विविध संस्कृतियों को एक साथ लाते हुए, एक साझा वैश्विक परिवार की भावना विकसित करने का उद्देश्य है।
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