कठपुतली शैली में रामायण की प्रस्तुति से बिहार रंग महोत्सव 2024 का शुभारंभ
पटना। रविवार को सांस्कृतिक संस्था ‘इमैजिनेशन’ द्वारा पांच दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव ‘बिहार रंग महोत्सव: बिहारंगम-2024’ का शुभारंभ हुआ। इस महोत्सव को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, अरिस्टो फार्मास्युटिकल्स, एरिस्मा चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में 28 जनवरी से 01 फरवरी, 2024 तक प्रेमचंद रंगशाला, राजेंद्र नगर, पटना में आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष का राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव का आयोजन बिहार की माटी में जन्मे अरिस्टो फार्मास्यूटिकल के संस्थापक, समाजसेवी डॉ० महेंद्र प्रसाद उर्फ़ किंग महेंद्र को समर्पित किया जा रहा है जिन्होंने कई वर्षों तक संसद में सेवा दी और हमेशा बिहार और बिहार के लोगों के सामुदायिक सेवा प्रयासों में सबसे आगे रहे।
बिहार रंग महोत्सव - 2024 का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ रवि रंजन, पूर्व माननीय मुख्य न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय, रांची द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा की ‘इमैजिनेशन द्वारा आयोजित बिहार रंग महोत्सव इस बात का प्रतीक है की बिहार के लोक कलाएं एवं नाटक विश्व पटल पर अपनी पहचान बना रही है एवं युवा पीढ़ी को बिहार के लोक कलाओं से अवगत करा रही है। यह महोत्सव देशभर एवं बिहार के कलाकारों को एक मंच तो प्रदान करती है वही इस महोत्सव में विभिन्न कलाओं का संगम भी देखने को मिलता है।
इस अवसर पर उमेश शर्मा ने कहा की अरिस्टो फार्मास्युटिकल्स अपने सी.एस.आर के तहत बिहार के विभिन्न जिलों में विकास का काम कर रही है। बिहार के कलाकारों एवं कलाओं को एक मंच मिले इस उद्देश्य से बिहार रंग महोत्सव का आयोजन अरिस्टो के सी.एस.आर के तहत किया गया है। साथ ही विश्व के मानचित्र पर बिहार के कलाकारों को एक विशिष्ट स्थान मिल सके इसका एक उद्देश्य यह भी है। भविष्य में इमैजिनेशन संस्था, अरिस्टो फार्मा की सीएसआर इकाई एरिस्मा चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ मिलकर जहानाबाद के क्षेत्र में प्रदर्शन कला, दृश्य कला, लोक कला, हैंडीक्राफ्ट जैसे विभिन्न कलाओं एवं कलकारों के प्रोत्साहन हेतु काम करेगी। उनके साथ विशिष्ट अतिथि रवि शंकर प्रसाद, सांसद एवं पूर्व मंत्री, भारत सरकार, उमेश शर्मा, प्रबंध निदेशक, अरिस्टो फार्मास्युटिकल्स, प्रो तपन कुमार शांडिल्य, माननीय कुलपति, डॉ शयामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची, प्रो राकेश कुमार सिंह, माननीय कुलपति, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, प्रो संतोष कुमार प्राध्यापक, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एवं साइंस, पटना मौजूद रहें।
उद्घाटन समारोह के डॉ महेंद्र प्रसाद के ऊपर बानी डाक्यूमेंट्री दर्शकों को दिखाई गई। इसके बाद मध्य प्रदेश के रंग श्री लिटिल बैले ट्रुप के कलाकारों द्वारा नाटक रामायण की प्रस्तुति की गई। शुरुआत से ही, 'रामायण' अपनी मौलिकता और सांस्कृतिक समृद्धि के कारण अलग दिखता है। शास्त्रीय वाद्ययंत्रों पर बजने वाले पारंपरिक संगीत और नृत्य की गतिविधियां उत्तर भारतीय कठपुतली शैली, विशेष रूप से राजस्थानी तार की कठपुतली शैली से प्रेरित हैं। कलाकार चौकोर मास्क पहनते हैं जो उनके चेहरों को जीवंत बनाते हैं। मंच पर सजावट न्यूनतम लेकिन रंगीन है, अक्सर इसे एक ग्रामीण मेले का रूप दिया जाता है, जो कि रामायण के ग्रामीण परिवेश पर जोर देता है। नाटक की कहानी मूल रामायण से ली गई है, लेकिन इसे कठपुतली नृत्य के अनुरूप संक्षिप्त किया गया है। दर्शक राम और सीता के प्रेम, लक्ष्मण के भाईचारे, रावण के अपहरण और राम के वानर सेना के साथ लंका विजय के शक्तिशाली क्षणों के गवाह बनते हैं। नाटक केवल कहानी सुनाने से आगे बढ़कर मानवीय मूल्यों पर ज़ोर देता है, जैसे धर्म, प्रेम, त्याग और कर्तव्य। इसके साथ बाहरी परिसर का कार्यक्रम काशिका के सरस्वती वंदना से हुई। इसके बाद सृष्टि फाउंडेशन के कलाकारों द्वारा ‘शिव स्तुति एवं नव दुर्गा स्वरुप’ द्वारा सरस्वती आई.आई.टी पटना के ड्रामेटिक्स सोसाइटी ‘यवनिका’ द्वारा नुक्कड़ नाटक ‘एक कुण्डी तो खड़कानी थी’ की प्रस्तुति थी। इमेजिनेशन पटना के कलाकारों द्वारा नुक्कड़ नाटक ‘सही वित्तीय बर्ताव करे आपका बचाव’ की प्रस्तुति हुई।
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