डीएम द्वारा लोक शिकायत के 18 मामलों की सुनवाई एवं समाधान किया गया

डीएम द्वारा लोक शिकायत के 18 मामलों की सुनवाई एवं समाधान किया गया


लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं संवेदनहीनता के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध पाँच हजार रुपये का दंड लगाया गया

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बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम

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पटना, शनिवार, दिनांक 18 नवम्बर, 2023ः जिलाधिकारी, पटना डॉ. चंद्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध पाँच हजार रूपया का अर्थदंड लगाया गया। 


डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत के कुल 18 मामलों की सुनवाई की गई। 10 मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा 08 मामलों में अंतरिम आदेश पारित किया गया। एक मामले में लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं संवेदनहीनता के आरोप में लोक प्राधिकार प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ के विरूद्ध पाँच हजार रूपया का दंड लगाया गया। दो मामलों में संतोषजनक प्रतिवेदन नहीं प्रस्तुत करने के कारण जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पटना के विरूद्ध कारण-पृच्छा किया गया। 


दरअसल अपीलार्थी श्री निरंजन कुमार सिंह, ग्राम-अघपा, पोस्ट-सोरमपुर, अंचल-फुलवारीशरीफ, प्रखंड-पटना सदर, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत गैरमजरूआ जमीन की उपलब्धता के बावजूद रैयती जमीन में सड़क बनाने के संबंध में है। जिलाधिकारी द्वारा पूर्व की सुनवाई में लोक प्राधिकार प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ के साथ अंचल अधिकारी तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ को समेकित रूप से प्रयास करते हुए परिवादी के शिकायत के नियमानुसार निवारण हेतु कार्रवाई करने तथा जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पटना को स्पष्ट प्रतिवेदन समर्पित करने का निदेश दिया गया था। फिर भी मामले में पदाधिकारियों द्वारा ऐसा कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया जिससे शिकायत का निवारण हो सके। जिलाधिकारी ने इस पर गंभीर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारी इस मामले में संलग्न हैं फिर भी अभी तक मामले का निष्पादन नहीं किया गया। परिवाद के अवलोकन से ऐसा स्पष्ट होता है कि अभी तक सीमांकन भी नहीं किया गया है। रैयती भूमि पर मिट्टी डालकर सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रस्तुत प्रतिवेदन भी भ्रामक एवं अस्पष्ट है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि यह आपत्तिजक है। लोक प्राधिकार प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ द्वारा लोक शिकायत निवारण में शिथिलता बरती जा रही है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पटना सदर के समक्ष दिनांक 09.05.2022 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग डेढ़ साल की अवधि में भी लोक प्राधिकार प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ द्वारा कोई सार्थक एवं ईमानदार प्रयास नहीं किया। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। लोक प्राधिकार के इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने दिनों में भी समाधान नहीं हो सका है। डीएम ने कहा कि यह लोक प्राधिकार की स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। जिलाधिकारी द्वारा इन आरोपों के कारण लोक प्राधिकार प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ के विरूद्ध 5,000/- रूपये का अर्थदंड लगाया गया। साथ ही स्पष्ट एवं संतोषजनक प्रतिवेदन समर्पित नहीं करने के कारण जिला पंचायत राज पदाधिकारी से स्पष्टीकरण किया गया। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि को उपस्थित रहने का निदेश दिया।

एक अन्य मामले में अपीलार्थी श्री विरेन्द्र कुमार, ग्राम-चिरैयाटांड, थाना-धनरूआ द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत सात निश्चय योजना अंतर्गत विकास राशि की अवैध निकासी से संबंधित है। परीवादी का कहना था कि वार्ड क्रियान्वयन समिति का चुनाव कराए बिना ही अवैध तरीके से प्रबंध समिति का गठन कर राशि की निकासी कर ली गई है। जिलाधिकारी ने समीक्षा में पाया कि जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पटना द्वारा इस मामले में दिया गया प्रतिवेदन अस्पष्ट एवं भ्रामक है। वे स्वयं भी सुनवाई में उपस्थित नहीं हैं। जिलाधिकारी द्वारा इस पर खेद व्यक्त करते हुए जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पटना से स्पष्टीकरण किया गया। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि को स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया गया।


डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।


डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015  का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।


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