ब्रेन स्ट्रोक होने पर इलाज में देरी से हो जाती है मरीज की मौत : डॉ. दीपा

ब्रेन स्ट्रोक होने पर इलाज में देरी से हो जाती है मरीज की मौत : डॉ. दीपा


पटना। ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। यदि इसके लक्षण दिखें तो साढ़े चार घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचना और इलाज शुरू हो जाना जरूरी होता है। विलंब होने पर मरीज की जान बचानी मुश्किल हो जाती है। ये बातें मीडिया से बातचीत में जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, पटना के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. दीपा  ने कही।


उन्होंने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक आने पर “FAST” फॉर्मूला अपनाया जाता है। इसे अपनाने से जान बच सकती है। जिसमें F से फेस या चेहरा को देखा जाता है वहीं A से आर्म या दोनो हाथों को देखा जाता है। S से स्पीच या बोलने में लड़खड़ाहट आदि को देखा जाता है और T से टाइम या समय का पालन जरुरी होता है। इस फार्मूले को अपनाने से विकलांगता की संभावना कम रहती है और स्ट्रोक होने के बाद भी मरीज आत्मनिर्भर रह सकता है। साथ ही इस फार्मूले को अपनाने से जल्द से जल्द स्ट्रोक के लक्षणों को पहचाना जा सकता है।


मेदांता पटना के न्यूरो सर्जन और मेदांता इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरोसाइंसेज के निदेशक  डॉ. मुकुंद प्रसाद  ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक,  ब्रेन के अंदर अचानक होने वाला अटैक है। यह दो प्रकार से होता है – इस्कीमिक स्ट्रोक और हेमरेजिक स्ट्रोक। 80 प्रतिशत स्ट्रोक इस्कीमिक होते है। इसमें ब्रेन की नसों में ब्लॉकेज हो जाता है जिससे मस्तिष्क में खून की आपूर्ति बाधित हो जाती है। 20 प्रतिशत स्ट्रोक हेमरेजिक होते है। जिसमें मस्तिष्क की नस फट जाती है। ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों में अचानक से आवाज गायब हो जाना, हाथ - पैर और चेहरे में सुन्नता या कमजोरी महसूस होना, पैरालिसिस की स्थिति आदि शामिल है।


ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए यह करें


डॉ दीपा ने  बताया कि ब्रेन स्ट्रोक का मुख्य कारण  डायबिटीज, हाइपर टेंशन, मोटापा, हार्ट डिजीज, अल्कोहल और स्मोकिंग, खराब जीवन शैली, अनुवांशिकता और स्ट्रेस आदि। ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के लिए नियमित व्यायाम करें, अच्छा पोषणयुक्त आहार लें और संतुलित जीवनशैली अपनाएं। कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और बीपी पर नियंत्रण रखें। अल्कोहल और स्मोकिंग से दूर रहें। अल्कोहल और स्मोकिंग इसके खतरे को बढ़ा देते हैं। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक के मरीजों के ठीक होने के बाद समान्य जीवन जीना इस बात पर निर्भर करता है कि स्ट्रोक कितना था और कितना जल्दी उसे इलाज मिल पाया। स्ट्रोक के बाद साढ़े चार घंटे के अंदर इलाज होने से मस्तिष्क टिश्यू की अधिक क्षति होने से रोका जा सकता है।


मेदांता पटना में है ब्रेन स्ट्रोक का बेहतर इलाज 


डॉ. दीपा  ने बताया कि मेदांता सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल पटना में ब्रेन स्ट्रोक से लेकर सभी प्रकार की मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों के इलाज की बेहतर व्यवस्था है। यहां सिटी स्कैन से लेकर एमआरआई जांच तक एक ही छत के नीचे मौजूद है। यहां इसका इलाज अनुभवी डॉक्टरों द्वारा आधुनिक तकनीक से किया जाता है।

मेदांता अस्पताल पटना में मेकेनिकल थ्रोमबेक्टोमी की आधुनिक सुविधा भी उपलब्ध है। जिसमें 24 घंटे तक स्ट्रोक के मरीज में तार से ब्रेन से क्लोट को निकाला जा सकता है।

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