नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है  (डा. नम्रता आनंद)

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है (डा. नम्रता आनंद)


पटना, शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की उपासना का त्योहार शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया।आज नवरात्र का पहला दिन है।नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। वह नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करने से मान-सम्मान में वृद्धि व उत्तम सेहत प्राप्त होती है। मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र अतिप्रिय हैं। ऐसे में नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा को सफेद वस्त्र या सफेद पुष्प अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही सफेद बर्फी या मिठाई का भोग लगाना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताएं हैं कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है। मां शैलपुत्री ममता की सागर हैं। मां बेहद दयालु और कृपालु हैं। मां के मुखमंडल पर कांतिमय तेज झलकती है। इस कांतिमय तेज से समस्त जगत का कल्याण होता है। मां शैलपुत्री दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प धारण कर रखी हैं। मां की सवारी वृषभ है। मां अपने भक्तों का उद्धार और दुष्टों का संहार करती हैं। मां की भक्ति करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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