हिंदी पत्रकरिता दिवस पर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्रकारों को किया सम्मानित

हिंदी पत्रकरिता दिवस पर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्रकारों को किया सम्मानित


हिंदी पत्रकारिता दिवस पर देश के पत्रकारों की आवाज बुलंद करने वाले सबसे बड़े संगठन जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्रकारों को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। देश के ऐसे पत्रकार जो पत्रकारिता के साथ साथ पत्रकारों की समस्याओ को भी उठाने मे सहयोग दिया है उन सभी को डिजिटल सर्टिफिकेट के माध्यम से जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया संगठन ने सम्मानित किया है। 

जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने बताया कि कोरोना काल मे पत्रकारों की हुई दुर्दशा को देखकर और अन्य किसी संगठन ने इस पर विचार न करने के कारण ही जेसीआई का गठन किया गया था।गठन के बाद कोरोना मे हुई पत्रकारों की दुर्दशा और असमय अनगिनत पत्रकारों की मौत से सरकार को अवगत कराया गया,जिसके बाद ही सरकार ने पत्रकारों की सुध ली। इसी कड़ी में हमने वैसे पत्रकारों का मनोबल बढ़ाने के लिए जो कि हमेशा हमारे साथियों की आवाज बुलंद करते है इस दिन हमने उन्हें सम्मानित किया ताकि उनका आत्मबल बढ़े और वे मजबूती से पत्रकारो की समस्याओं को उठा सके।

वही संगठन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ आर सी श्रीवास्तव ने इस अवसर पर बोला कि साधारणतया देखा जा रहा है कि पत्रकारों का शोषण दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है संगठन का प्रयास है कि किसी भी स्थिति में किसी के भी द्वारा पत्रकारों का शोषण न किया जा सके परंतु इसके लिए हम सभी को भी संगठन के प्रति अपनी जिम्मेदारी, भागीदारी और सक्रिय सहयोग सुनिश्चित करना होगा तभी हम पत्रकार भाइयों की समस्याओं को और मजबूती से उठा सकेंगे लेकिन किसी भी संगठन के लिए आवश्यक होता है उसके कार्यकर्ता और उसकी कार्यप्रणाली। जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया पत्रकारों की समस्याओं को लेकर खासी चिंतित है इसलिए संगठन चाहता है कि हमारे सभी जिम्मेदार एवं सम्मानित सदस्य तथा पदाधिकारी गण और अधिक सक्रिय होकर संगठन में अपनी भागीदारी स्पष्ट करें ।

संगठन के बिहार इकाई के सक्रिय सदस्य कुणाल भगत,अकबर ईमाम, अश्वनी कुमार आदि को भी जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनके कार्यों के लिए सम्मानित किया। इस अवसर पर कुणाल भगत ने बताया कि पत्रकारों के हक के लिए जर्नलिस्ट काउंसिल द्वारा लड़ाई जारी है। चुकी पत्रकार किसी भी पक्ष के सॉफ्ट टारगेट होते है क्योंकि उन्हें सत्य दिखना होता है। पत्रकार और पत्रकारिता शब्द बहुत ही आकर्षक होता है पर जो भी व्यक्ति इस क्षेत्र में है उन्हे मालूम है कि कितना जोखिम भरा और कठिन है यह पग और तो और सरकार की भी कोई मंशा पत्रकारों को उनका हक देने का नही लगता है। ऐसे में अंतिम विकल्प सिर्फ संगठन ही है जो हरेक सुख और दुख में आम पत्रकारों के साथ खड़ा है। जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया पत्रकारों की सुरक्षा और हक के लिए पूरे देश में लड़ाई लड़ रही है।

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