मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के रामजन्मोत्सव के रूप में मनायी जाती है रामनवमी  डा. नम्रता आनंद

मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के रामजन्मोत्सव के रूप में मनायी जाती है रामनवमी डा. नम्रता आनंद


पटना, हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को रामजन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राम जी के जन्म पर्व के कारण ही इस तिथि को रामनवमी कहा जाता है।भगवान राम को विष्णु का अवतार माना जाता है। राम नवमी के अवसर पर विशेष रूप से भगवान राम की पूजा अर्चना और कई तरह के आयोजन कर उनके जन्म के पर्व को मनाते हैं। पूरे भारत में भगवान राम का जन्मदिन उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन खास तौर से श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में इस पर्व को बेहद हर्षोल्ललास के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के समय अयोध्या में भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से भक्तगणों के अलावा साधु-संन्यासी भी पहुंचते हैं और रामजन्म का उत्सव मनाते हैं। 

    रामनवमी के दिन विशेष तौर पर श्रीराम के साथ माता जानकी और लक्ष्मण जी की भी पूजा होती है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। पौराणिक कथाओं अनुसार रावण अपने राज्यकाल में बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचारों से मुक्ति के लिए देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और उनसें सहायता मांगी। देवताओं की प्रार्थना को सुनते हुए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से जन्म लिया। ऐसा माना जाता है जब भगवान राम का जन्म हुआ तब चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी। कहते हैं तभी से इस तिथि पर रामनवमी मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि रामनवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।

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