जिलाधिकारी , पटना द्वारा बताया गया कि जरूरतमंद लोग बच्चा गोद के लिए किसी भी बिचौलिए के बहकावे में न आएं ।

जिलाधिकारी , पटना द्वारा बताया गया कि जरूरतमंद लोग बच्चा गोद के लिए किसी भी बिचौलिए के बहकावे में न आएं ।


 बच्चा हमेशा कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही गोद लें । जिलाधिकारी , पटना द्वारा बताया गया कि जरूरतमंद लोग बच्चा गोद के लिए किसी भी बिचौलिए के बहकावे में न आएं । सार्वजनिक स्थानों यथा अस्पताल/बस स्टेंड/रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर से सीधे गोद न लें । यह विधि-विरुद्ध एवं दण्डनीय अपराध है। किशोर न्याय अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 एवं दत्तकग्रहण विनियम 2022 में निहित प्रावधानों एवं प्रक्रिया को अपनाए बिना किसी भी अनाथ अथवा परित्यक्त बच्चे को किसी भी व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से गोद लेना/देना दंडनीय अपराध है, जिसके लिए तीन साल तक का कारावास या 1 लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है। साथ ही किसी भी बच्चे को खरीदना बेचना एक दंडनीय अपराध है जिसके लिए 5 साल तक का सश्रम कारावास एवं 1 लाख रूपय के दंड का प्रावधान है। साथ ही किसी भी अनाथ, परित्यक्त अथवा खोए हुए बच्चों के प्राप्त होने या सूचना मिलने पर संबंधित जानकारो चाइल्ड लाइन सेवा (इमरजेंसी हेल्प लाइन नं०-1098), 112 (आपातकालीन सहायता नं०), नजदीकी पुलिस स्टेशन को दे। संबंधित जानकारी बाल कल्याण समिति, अथवा जिला बाल संरक्षण इकाई को आवश्यक रूप से दें । ऐसा नहीं करना दंडनीय अपराध है जिसके लिए दस हजार रूपये का अर्थदंड या छः महीने तक की सजा अथवा दोनों हो सकता है।

उक्त के आलोक में दत्तक ग्रहण के संबंध में जारी मार्गदर्शिका 2022 के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए आज जिलाधिकारी, पटना श्री शीर्षत कपिल अशोक द्वारा दो बच्चों का दत्तक ग्रहण आदेश जारी किया गया l विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान के माध्यम से दत्तक ग्रहण की समस्त प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरांत सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई के द्वारा सृजनी, विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान, पटना में आवासित बालक को तमिलनाडु के दम्पति द्वारा गोद लिया गया तथा सृजनी, विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान एवं बाल देख-रेख संस्थान(SAA-CCI) लिंकेज के तहत बालिका गृह (आशा किरण) में आवासित बालिका को केरल के दंपत्ति को गोद दिया गया । 

SAA-CCI लिंकेज के तहत छः वर्ष से अधिक बालकों के दत्तकग्रहण का पटना में यह 09 वाँ मामला है । पूर्व में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया फैमिली कोर्ट से पूर्ण होती थी, प्रक्रिया को सुगम बनाने हेतु किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 में संशोधन करते हुए जिलाधिकारी को दत्तक ग्रहण आदेश जारी करने हेतु प्राधिकृत किया गया ।

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