प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा लोक शिकायत के 18 मामलों की सुनवाई की गई एवं परिवादों का निवारण किया गया

प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा लोक शिकायत के 18 मामलों की सुनवाई की गई एवं परिवादों का निवारण किया गया

लोक शिकायत के मामलों का ससमय एवं गुणवत्तापूर्ण निवारण सुनिश्चित करने का आयुक्त ने दिया निदेश
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लोक शिकायत निवारण के प्रति अरूचि, संवेदनहीनता प्रदर्शित करने एवं शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के कारण एक लोक प्राधिकार से स्पष्टीकरण किया गया
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बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम का सफल क्रियान्वयन सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके प्रति सजग, सक्रिय एवं संवेदनशील रहेंः आयुक्त
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पटना, बुधवार, दिनांक 30.07.2025ः आयुक्त, पटना प्रमंडल, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत प्रथम अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण के प्रति अरूचि एवं संवेदनहीनता प्रदर्शित करने के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरुद्ध कार्रवाई की गई। 
आयुक्त द्वारा आज लोक शिकायत के कुल 18 मामलों की सुनवाई की गई एवं परिवादों का निवारण किया गया। शिक्षा सेवक पद पर चयन में अनियमितता संबंधी शिकायत के समाधान में शिथिलता एवं लापरवाही बरतने के कारण लोक प्राधिकार अपर समाहर्ता, पटना से कारण-पृच्छा की गई। 

दरअसल अपीलार्थी रितु कुमारी, फतेहपुर, प्रखंड पटना सदर, अनुमंडल पटना सिटी, जिला पटना ने शिक्षा सेवक पद पर चयन में अनियमितता के विरूद्ध आयुक्त, पटना प्रमंडल के समक्ष प्रथम अपील में परिवाद दाखिल किया है। उन्होंने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि प्राथमिक विद्यालय, फतेहपुर रविदास टोला, पटना सदर में शिक्षा सेवक पद पर चयन हेतु प्रधान शिक्षक द्वारा त्रुटिपूर्ण औपबंधिक मेधा सूची जारी की गई है। इसमें दुल्हिनबाजार प्रखंड की निवासी संगीता कुमारी का चयन किया गया है। संगीता कुमारी द्वारा स्व-शपथ पत्र के आधार पर गलत तरीके से दीदारगंज अंचल से तीन बार निवास प्रमाण-पत्र बनवा लिया गया। अपर समाहर्ता, पटना को इसकी जाँच कर कार्रवाई करने का निदेश दिया गया था। अपर समाहर्ता, पटना द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन संतोषजनक नहीं पाया गया। उन्होंने प्रतिवेदित किया था कि संगीता कुमारी द्वारा स्व-घोषणा के साथ आवासीय प्रमाण-पत्र हेतु ऑनलाईन आवेदन समर्पित किया गया था जिसके आधार पर बार-बार आवासीय प्रमाण-पत्र निर्गत किया जा रहा है। इसके लिए स्वयं संगीता कुमारी ही जिम्मेदार हैं। प्रमाण-पत्र को रद्द भी कर दिया गया है।आयुक्त ने पूछा कि किसी के स्व-घोषणा के आधार पर ही किस प्रावधान के तहत निवास प्रमाण-पत्र जारी किया गया?  राजस्व कर्मचारी के स्थलीय जाँच रिपोर्ट के बिना निवास प्रमाण-पत्र जारी किया जाना नियमसंगत नहीं है। इसके लिए प्रमाण-पत्र निर्गत करने वाले पदाधिकारी भी दोषी हैं। अपर समाहर्ता का प्रतिवेदन असंतोषजनक पाए जाने के कारण आयुक्त द्वारा उनसे स्पष्टीकरण किया गया। साथ ही उन्हें परिवाद पर विधिवत कार्रवाई करते हुए अगली सुनवाई से पूर्व जिला पदाधिकारी, पटना के माध्यम से तथ्यपरक कृत कार्रवाई  प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।
आयुक्त ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। जनता की शिकायतों का ससमय एवं गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। सभी पदाधिकारी सजग रहें। लोक प्राधिकारों को संवेदनशीलता एवं तत्परता प्रदर्शित करनी होगी। कार्य के प्रति लापरवाही, लोक शिकायत निवारण के प्रति अरूचि एवं जनहित के मामलों में संवेदनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
                                                       

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